प्रख्यात तबला वादक पद्मश्री उस्ताद जाकिर हुसैन का कहना है कि टीवी पर दिखाए जाने वाले रियलिटी शो में तड़क-भड़क, पहनावे और साज सज्जा पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मैं टीवी पर ऐसे शो के बजाय क्रिकेट मैच देखना अधिक पसंद करता हूँ।
हुसैन ने कहा कि कुछ कार्यक्रम तो बहुत अच्छे होते हैं, उनमें कलाकारों की भूमिका भी बहुत अच्छी होती है। कई लोग गा रहे हैं, बजा रहे हैं, किन्तु उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया है।
सच तो यह है कि एक कलाकार ही किसी दूसरे कलाकार को पहचान सकता है और उसके काम को जगजाहिर कर सकता है।
उन्होंने कहा कि आए दिन हम यह सुनते हैं कि सरकार हमारे लिए कुछ नहीं कर रही है। सरकार बहुत कुछ कर भी नहीं सकती उसकी अपनी सीमाएँ हैं। यदि शास्त्रीय संगीत को बचाए रखना है तो कलाकारों को ही इसके लिए आगे आना होगा।
उन्होंने कहा कि एक वह जमाना था जब हम लोग किसी एक चीज को सीखने के लिए 5-6 वर्ष लगा देते थे, किन्तु आज के जवान को इतना समय देने की आवश्यकता नहीं है। उसके सामने इंटरनेट, टीवी, डीवीडी जैसे साधन उपलब्ध है, जिनके माध्यम से वह बहुत कुछ सीख सकता है।
उस्ताद ने कहा कि मैंने तीस साल में जो कुछ हासिल किया है, उसे आज का कलाकार यदि चाहे तो आठ-दस साल में ही हासिल कर सकता है।