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Written By भाषा

क्या खत्म हो रहा है धोनी का 'मिडास टच'

क्या खत्म हो रहा है धोनी का ''मिडास टच'' -
दो बरस पहले महेंद्रसिंह धोनी दक्षिण अफ्रीका से ताबड़तोड़ क्रिकेट का पहला विश्व कप जीतकर लौटे तो पूरे देश ने उन्हें सिर आँखों पर बिठाकर ऐसा कप्तान कहा कि जिसके छूते ही हर चीज सोना बन जाती है। आज वही धोनी टीम की हार के गुनहगार बन गए और क्रिकेट प्रेमियों का मानना है कि राँची के इस राजकुमार का 'मिडास टच' खत्म हो गया है।

26 सितंबर 2007 से 14 जून 2009 के बीच काफी कुछ बदल गया। दो साल पहले विश्व विजेता टीम के स्वागत के लिए बारिश के बीच मुंबई की सड़कों पर उतरे लाखों क्रिकेट प्रेमी अब धोनी और उनकी ब्रिगेड को कोसने से नहीं चूक रहे। जिस कप्तान के हर दाँव को कामयाबी की गारंटी माना जाता था उसकी रणनीतियों पर सवाल उठने लगे हैं।

क्रिकेट के दीवाने भारतीय कल देर रात तक इस आस में टीवी के सामने नजरें गड़ाए बैठे रहे कि माही की महिमा से शायद टीम जीत जाए। लेकिन क्रिकेट के मक्का लार्ड्स पर इंग्लैंड के खिलाफ उनका यह सपना चूर-चूर हो गया। खेल में हार जीत होती ही है, लेकिन भारतीय प्रशंसकों को वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के सामने टीम इंडिया का यूँ शर्मनाक ढंग से घुटने टेक देना रास नहीं आया।

दिल्ली के एक कॉलेज में प्रोफेसर सव्य सचिन ने कहा कि मैंने पूरा मैच यह सोचकर देखा कि कुछ करिश्मा हो जाए और भारत जीत जाए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हम सुपर आठ चरण से ही इस तरह बाहर हो जाएँगे।

उन्होंने कहा भारत को खराब बल्लेबाजी और कप्तानी का खामियाजा भुगतना पड़ा। धोनी ने कुछ चौकाने वाले फैसले लिए जो भारी पड़े। कुछ क्रिकेटप्रेमियों ने तो यह भी कहा कि धोनी अति आत्मविश्वास का शिकार हैं।

एक छात्रा श्वेता ठाकुर ने कहा कि धोनी अब शांतचित्त कप्तान नहीं है। वीरेंद्र सहवाग की चोट के मामले में उन्होंने जिस तरह मीडिया के साथ बर्ताव किया, उससे यह साबित हो गया। उनके चेहरे पर अति आत्मविश्वास झलक रहा था।

श्वेता ने कहा कि कप्तान के तौर पर उन्होंने कई चूक की। फॉर्म में चल रहे युवराजसिंह को इतने अहम मैच में बल्लेबाजी क्रम में नीचे भेजने की क्या वजह थी? उन्हें तीसरे नंबर पर उतारना चाहिए था।

सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत अंकुश तिवारी ने कहा कि कप्तान को अपने प्रदर्शन पर आत्ममंथन करना चाहिए। कप्तान के तौर पर धोनी मिसाल कायम नहीं कर सके। वह खराब फॉर्म में थे। कल के मैच में भी यूसुफ पठान ने टीम को मैच में लौटाने की कोशिश की, धोनी ने नहीं।