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Last Modified: सोमवार, 2 जनवरी 2017 (18:49 IST)

बीसीसीआई के आला अधिकारियों को उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वीकार

बीसीसीआई के आला अधिकारियों को उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वीकार - Supreme Court, Lodha Committee, BCCI, Anurag Thakur, President, Ajay Shirke
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय द्वारा पदच्युत किए गए बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के ने आज कहा कि वे फैसले को स्वीकार करते हैं हालांकि उन्होंने इस फैसले को लेकर अपने संशय साफ जाहिर किए।
ठाकुर और शिर्के को उच्चतम न्यायालय ने तुरंत पद छोड़ने के लिए कहा। न्यायालय ने यह भी कहा कि बीसीसीआई को प्रशासनिक सुधारों से जुड़ी लोढ़ा समिति की सिफारिशें अक्षरश: लागू करनी होगी।
 
न्यायालय ने कहा कि फिलहाल बीसीसीआई के सबसे सीनियर उपाध्यक्ष कार्यवाहक अध्यक्ष होंगे और संयुक्त सचिव फिलहाल सचिव के कार्यों को अंजाम देंगे। न्यायालय ने ठाकुर को अवमानना नोटिस भी जारी किया, जिसमें कहा गया कि उन्हें लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने की राह में रोड़े अटकाने का दोषी क्यो नहीं पाया जाए।
 
ठाकुर ने फैसले पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय को लगता है कि रिटायर्ड न्यायाधीशों के मार्गदर्शन में बीसीसीआई अच्छा काम करेगी तो वह उन्हें शुभकामना देते हैं।
 
ठाकुर ने सोशल मीडिया पर वीडियो क्लिप जारी करके कहा, मेरे लिए यह निजी लड़ाई नहीं थी, यह खेल संगठन की स्वायत्ता की लड़ाई थी। मैं हर नागरिक की तरह उच्चतम न्यायालय का सम्मान करता हूं। यदि न्यायालय के न्यायाधीशों को लगता है कि बीसीसीआई रिटायर्ड न्यायाधीशों के मार्गदर्शन में बेहतर काम करेगा तो मैं उन्हें शुभकामना देता हूं। मुझे यकीन है कि भारतीय क्रिकेट उनके मार्गदर्शन में अच्छा करेगा। 
 
भाजपा सांसद ठाकुर ने कहा कि भारतीय क्रिकेट की भलाई और खेलों की स्वायत्ता के लिए मेरी प्रतिबद्धता हमेशा रहेगी। बीसीसीआई के संयुक्त सचिव और सचिव रहे ठाकुर मई 2016 में अध्यक्ष बने थे। वह एक दशक से अधिक समय से हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष भी हैं।
 
इस बीच शिर्के ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा उन्हें पद से हटाए जाने के फैसले से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां प्रशासनिक बदलाव का असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीसीसीआई की स्थिति पर नहीं पड़ेगा।
 
शिर्के ने न्यायालय के फैसले के बाद कहा ,इस फैसले पर मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं है। यदि यह उच्चतम न्यायालय का फैसला है कि मैं सचिव नहीं रहूं तो इससे सरल क्या हो सकता है। बीसीसीआई में मेरा काम खत्म हो गया है। यह पूछने पर कि बोर्ड अगर लोढ़ा समिति के सुझावों को लागू कर देता तो क्या इस स्थिति से बचा जा सकता था? शिर्के ने कहा कि इस मसले से दूसरी तरह से निपटने का कोई सवाल ही नहीं था।
 
उन्होंने कहा कि आखिर में बीसीसीआई सदस्यों से ही बनती है। यह मेरे या अध्यक्ष की बात नहीं थी, बल्कि यह सदस्यों की बात थी। शिर्के ने ब्रिटेन से कहा, इतिहास में जाने की कोई वजह नहीं है। लोग अलग-अलग तरीके से अतीत का आकलन कर सकते हैं। मेरा पद से कोई निजी लगाव नहीं है। पहले भी मैने इस्तीफा दिया है। मेरे पास करने के लिए बहुत कुछ है। बोर्ड में जगह थी तो मैं आया और निर्विरोध चुना गया। मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है और कोई पछतावा भी नहीं है। 
 
शिर्के ने उम्मीद जताई कि बोर्ड वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखेगा। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि नए पदाधिकारी बीसीसीआई का अच्छा काम जारी रखेंगे। उम्मीद है कि बोर्ड वैश्विक स्तर पर अपना रूतबा बरकरार रखेगा। उम्मीद है कि भारतीय टीम भी खेल के तीनों प्रारूपों में अपना दबदबा कायम रखेगा। इस बीच पूर्व स्पिनर बिशन सिंह बेदी की अगुवाई में क्रिकेट जगत ने इस फैसले की सराहना की है।
 
बेदी ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है। भारतीय क्रिकेट के लिए यह अच्छा है और इससे क्रिकेट ढर्रे पर आ जाएगा। अब उम्मीद की किरण नजर आ रही है और हम उच्चतम न्यायालय के शुक्रगुजार हैं। मैं बहस में नहीं पड़ना चाहता। यह अंतिम और सर्वमान्य है। भारतीय खेलों और क्रिकेट के लिए यह अच्छी खबर है। 
 
लोढ़ा समिति की एक राज्य एक वोट की सिफारिशों का बीसीसीआई खासकर मुंबई क्रिकेट संघ ने विरोध किया था। पिछले महीने एमसीए अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले 76 बरस के शरद पवार उच्चतम न्यायालय के फैसले से निराश दिखे। एक राज्य एक वोट का सुझाव लागू करने के मायने हैं कि मुंबई, महाराष्ट्र और विदर्भ को रोटेशन आधार पर मतदान का अधिकार होगा।
 
पवार ने कहा  यह मुंबई क्रिकेट के लिए सबसे दुखद दिन है। मुंबई क्रिकेट ने इतने अंतरराष्ट्रीय सितारे दिए हैं और भारतीय क्रिकेट के लिए इतना कुछ किया है। मुंबई को मतदान से दरकिनार करने का फैसला दर्दनाक है। 
 
सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के सचिव और अनुभवी प्रशासक निरंजन शाह ने कहा कि लोढ़ा समिति के सुधारों को लागू करने के अलावा कोई चारा नहीं है। शाह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय जो कुछ भी कहता है, वह अंतिम और सर्वमान्य है। हम उसका पालन करेंगे। 
 
तमिलनाडु क्रिकेट संघ के सचिव काशी विश्वनाथ ने कहा कि हमें उच्चतम न्यायालय के फैसले पर अमल करना होगा। ऐसा नहीं करना न्यायालय की अवमानना होगा। हम जल्दी ही इस संदर्भ में आमसभा की विशेष बैठक बुलाएंगे।
 
कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के बृजेश पटेल ने कहा कि वह न्यायालय के फैसले की प्रति का इंतजार कर रहे हैं जिसके बाद ही आगे की कार्रवाई तय करेंगे। बोर्ड के सीनियर उपाध्यक्ष गोकाराजू गंगराजू ने आज साफ तौर पर कहा कि उनका आंध्र क्रिकेट संघ तुरंत प्रभाव से लोढ़ा समिति के सुझाव लागू करेगा।
 
गंगराजू ने कहा ,इसमें कोई संदेह नहीं कि यह उच्चतम न्यायालय का फैसला है। आंध्र क्रिकेट संघ का अध्यक्ष होने के नाते हम तुरंत प्रभाव से सारे सुझाव लागू करेंगे। यदि हमें विश्राम की अवधि (कूलिंग आफ पीरियड) में जाना पड़े तो हम जाएंगे। भारतीय क्रिकेट को आगे बढना चाहिए। ऐसी अटकलें हैं कि वह अंतरिम अध्यक्ष पद की दौड़ में है।
 
डीडीसीए के सी के खन्ना भी सीनियर उपाध्यक्ष हैं लेकिन यह अस्थाई पद ही होगा क्योंकि मुझे विश्राम की अवधि में जाना होगा। यदि मुझे कोई जिम्मेदारी दी गई तो मैं पूरी ईमानदारी से उसका निर्वाह करूंगा। (भाषा) 
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