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Last Modified: गुरुवार, 27 नवंबर 2014 (19:30 IST)

क्रिकेट को जिंदगी मानते थे फिलिप ह्यूज

क्रिकेट को जिंदगी मानते थे फिलिप ह्यूज - Philip Hughe
सिडनी। एक छोटे से गांव से निकलकर राष्ट्रीय टीम तक का सफर तय करने वाले ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज फिलिप ह्यूज क्रिकेट को अपनी जिंदगी मानते थे और केवल 25 वर्ष की उम्र में उनका जिंदगी से साथ भी खेल के इसी मैदान पर छूटा..और पीछे छूट गया केवल यादों का साथ। 
      
न्यू साउथ वेल्स के एक छोटे से केले की खेती के लिए मशहूर इलाके मैक्सविले में 30 नवंबर 1988 को जन्मे ह्यूज ने अपनी प्रतिभा और क्रिकेट के लिए जुनून के दम पर 18 वर्ष की आयु में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा। वर्ष 2009 में बेहद कम उम्र में टेस्ट क्रिकेट में कदम रख ह्यूज ने क्रिकेट के दिग्गजों को अपनी ओर आर्कषित किया। 
     
हालांकि अपनी तकनीक और खासतौर पर शार्ट पिच गेंदों को खेलने में हमेशा असहज महसूस करने वाले ह्यूज को आलोचना का शिकार होना पड़ा और वह राष्ट्रीय टीम में कभी स्थाई जगह हासिल नहीं कर पाए। 
     
ओपनिंग बल्लेबाज ने अपने संक्षिप्त करियर में 26 टेस्टों में 32.65 के औसत से 1535 रन बनाए जबकि 25 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 35.91 के औसत से 826 रन बनाए। उन्होंने 34 ट्‍वेंटी 20 मैचों में 42.69 के बेहतरीन औसत से 1110 रन भी बनाए। ह्यूज इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मुंबई इंडियंस टीम का हिस्सा भी रहे थे।
 
खेल के मैदान पर आक्रामकता और असल जिंदगी में बेहद सादगी भरे ह्यूज को ऑस्ट्रेलियाई लोग हमेशा एक 'शानदार' व्यक्ति के रूप में याद रखेंगे। अन्य कई ऑस्ट्रेलियाई्र क्रिकेटरों की तरह ह्यूज ग्रामीण क्षेत्र में पले बढ़े लेकिन बेहद कम सुविधाओं और कम मौकों के बावजूद उन्होंने राष्ट्रीय टीम तक का सफर बनाया। 
     
सिडनी और ब्रिसबेन के बीच एक छोटे से क्षेत्र में ह्यूज केले की खेती नहीं बल्कि क्रिकेट की दीवानगी के साथ बड़ें हुए और लगातार घंटों तक अभ्यास की बदौलत उन्होंने अपने जुनून को पेशे तक पहुंचाया। ह्यूज के परिजनों के मुताबित वह दिन भर घर में गेंद को हिट करते तो रात में बड़े सें शीशे के सामने स्ट्रोक-प्ले को बेहतर बनाने का अभ्यास करते। 
     
उन्होंने बताया कि 12 वर्ष की उम्र तक ह्यूज के साथ उनकी उम्र के खिलाड़ियों ने उन्हें चुनौती देना तक छोड़ दिया था इसलिए वह अपने से बड़ी उम्र के बच्चों के साथ खेलते थे। प्रतिभा के धनी ह्यूज ने 18 वर्ष की उम्र में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा। घरेलू क्रिकेट शैफील्ड शील्ड के फाइनल में उन्होंने शतक लगाकर राष्ट्रीय टीम के चयनर्कताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा।
 
मैट हेडन के रिटायरमेंट के समय ही ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में ह्यूज एक बेहतरीन ओपनिंग बल्लेबाज के रूप में सामने आए और मानो टीम में अपने आप उनके लिए जगह बन गई। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वर्ष 2009 में उन्होंने टेस्ट टीम में जगह बनाई। 
 
इस मैच में पहली पारी में ह्यूज जहां शून्य पर आउट हुए तो दूसरी पारी में उन्होंने 75 रन ठोंके। दूसरे टेस्ट में उन्होंने दोनों पारियों में शतक लगाए और इस स्तर पर यह उपलब्धि पाने वाले वह सबसे युवा खिलाड़ी भी बने। 
      
हालांकि इसी वर्ष एशेज सीरीज के लिए उन्हें टीम में जगह नहीं दी गई। इसके बाद उनका टीम में आना जाना लगा रहा और स्थाई जगह बनाने में नाकाम रहे। ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान माइकल क्लार्क के शब्दों में 'ह्यूज क्रिकेट को जीते थे' सच साबित होते हैं क्योंकि बेहद कम उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले इस खिलाड़ी का सफर भी क्रिकेट की पिच पर ही हुआ। 
      
उनके आखिरी मैच में बनाए (63) रनों की पारी या करियर में बनाए रनों को भले ही कोई याद न रखे लेकिन ह्यूज एक सच्चे क्रिकेटर के रूप में क्रिकेट की दुनिया में वर्षों तक याद जरूर रखे जाएंगे। (वार्ता)