क्या कप्तानी छोड़ने के लिए धोनी पर दबाव था?
मैच में विपरीत परिस्थितियों में शांत रहने वाले टीम इंडिया के कप्तान और प्रशंसकों के 'माही' ने एक बार फिर अपने फैसले से सबको चौंका दिया है। महेन्द्र सिंह धोनी ने अचानक वन-डे और टी-20 की कप्तानी छोड़ने का फैसला किया। हालांकि धोनी टी-20 और वन-डे बतौर खिलाड़ी खेलते रहेंगे। टेस्ट कप्तानी जैसे वन-डे और टी-20 कप्तानी छोड़ने का यह फैसला सवाल खड़े कर रहा है। क्या टेस्ट के बाद वन-डे और टी-20 कप्तानी छोड़ने का धोनी पर दबाव था? इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली सीरिज से पहले धोनी का यह फैसला चौंकाने वाला है।
104 वन-डे में भारत को जीत दिलाने वाले माही ने टीम इंडिया को शिखर पर पहुंचाया। धोनी की कप्तानी में भारत ने 28 वर्षों बाद एक दिवसीय वर्ल्ड कप जीता। 2007 में पहली बार हुए टी-20 वर्ल्ड कप को भी धोनी कप्तानी में भारत ने जीता था।
टी-20 वर्ल्ड कप जीत के बाद धोनी के ये धुरंधर क्रिकेट की दुनिया में छा गए। मैच कितनी विपरीत परिस्थितियों में हो, धोनी हमेशा शांत नजर आते थे। याद कीजिए पहले टी-20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के साथ हुए फाइनल मैच का वह आखिरी ओवर जब पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रनों की आवश्यकता थी। बल्लेबाजी कर रहे पाकिस्तान के धाकड़ बल्लेबाज मिस्बाह उल हक। धोनी ने नए गेंदबाज जोगिन्दर शर्मा को आखिरी ओवर में गेंद थमा दी। पहले तो उनका यह निर्णय क्रिकेटप्रेमियों को अजीब लगा, लेकिन जब शर्मा ने मिस्बाह को श्रीसंथ के हाथों कैच करवाकर भारत को पहला टी-20 चैंपियन बनाया तो सबकी जुबान पर एक ही नाम था महेन्द्रसिंह धोनी। ऐसे कई मौके आए जब धोनी ने मैच में अपने फैसलों से चौंकाया, लेकिन जीत टीम इंडिया और धोनी की ही हुई।
विराट कोहली की टेस्ट सफलताओं के बाद कहीं धोनी को यह इशारा तो नहीं मिल गया था कि उनसे वन-डे और टी-20 कप्तानी भी छिनी जा सकती है। खैर, किन कारणों धोनी को यह कदम उठाना पड़ा इस पर धोनी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। भारत के क्रिकेटप्रेमी कैप्टन कूल की स्वर्णिम सफलताओं को नहीं भूलेंगे।