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Last Modified: बुधवार, 21 दिसंबर 2016 (23:09 IST)

करुण, जयंत सफल 'ए' टीम के खिलाड़ी : मुख्य चयनकर्ता

करुण, जयंत सफल 'ए' टीम के खिलाड़ी : मुख्य चयनकर्ता - Karun Nair, Jayant Prasad, Indian cricket team, BCCI
नई दिल्ली। मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने कहा कि उनकी समिति को करुण नायर और जयंत यादव की काबिलियत पर पूरा भरोसा था और उन्होंने इन्हें बीसीसीआई द्वारा सफल ‘ए’ टीम प्रणाली से निकले बेहतरीन खिलाड़ी करार किया।
प्रसाद ने कहा, भारत की ‘ए’ प्रणाली के बेहतरीन खिलाड़ी करुण नायर और जयंत यादव हैं। मेरा मानना है कि बीसीसीआई द्वारा ‘ए’ दौरे पर जोर दिए जाने से ही हमें करुण और जयंत जैसे खिलाड़ी मिल रहे हैं और वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए तैयार हैं।  
 
उन्होंने कहा, बीसीसीआई अध्यक्ष (अनुराग ठाकुर) और सचिव (अजय शिर्के) ने ये दौरों पर काफी जोर दिया था और जब राहुल द्रविड़ जैसा शानदार खिलाड़ी उनका मार्गदर्शन कर रहा हो तो आप इससे ज्यादा की उम्मीद नहीं कर सकते। 
 
प्रसाद ने कहा, देखिए, भारत ए के ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर करुण ने ऑस्ट्रेलियाई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी केन रिचर्डसन का सामना किया था जबकि जयंत ने मौजूदा टेस्ट खिलाड़ी निक मैडिनसन और पीटर हैंड्सकोंब को गेंदबाजी की थी। इसलिए ए दोनों तब टेस्ट टीम के लिए तैयार थे। 
 
उन्होंने कहा, इसलिए इस प्रणाली की प्रशंसा की जानी चाहिए। चयनकर्ताओं के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि वह करुण के तिहरे शतक ने उन्हें जरा भी हैरान नहीं थे क्योंकि थिंक टैंक इस युवा की प्रतिभा को जानता था। 
 
प्रसाद ने कहा, हमें मैच विजेता के रूप में करुण की काबिलियत पर पूरा भरोसा था। यह समिति युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने में पूरा विश्वास करती है। चयन समिति का काम करने का तरीका सरल है। पहले हमें (चयनकर्ताओं) एक युवा की काबिलियत के बारे में निश्चित होना जरूरी है। हमें यह महसूस करने की जरूरत है कि लड़का टीम में शामिल होने का हकदार है और यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अच्छा खिलाड़ी बन सकता है।  
 
भारत के पूर्व विकेटकीपर ने कहा, अगर हमें भरोसा हो जाता है कि एक युवा खिलाड़ी मैच विजेता बन सकता है तो यह सिर्फ समय की बात होती है और उसे मौका मिल जाता है। इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें और अंतिम मैच में नायर ने नाबाद 303 रन की पारी खेली जिससे वे टेस्ट में तिहरा शतक जड़ने वाले दूसरे भारतीय बन गए।
 
प्रसाद ने भले ही छह टेस्ट और 17 वनडे खेले हों लेकिन इस 41 वर्षीय की राय थी कि किसी भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी को सही मौका दिए बिना टीम से बाहर नहीं किया जाना चाहिए। कुछ असफलताएं होती हैं। किसी से भी यह उम्मीद करना कि क्रीज पर जाकर पहले दिन से ही परिणाम हासिल कर दे, ऐसा नहीं होता। 
 
उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि आप खिलाड़ी को चुनते हो और फिर बाहर कर देते हो। किसी भी युवा खिलाड़ी के आत्मविश्वास के लिए यह अच्छा नहीं होता। एक टीम खिलाड़ियों का संयोजन होती है और अच्छा प्रदर्शन तभी होता है जब हर कोई विश्वास से भरा हो। (भाषा) 
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