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Last Modified: गुरुवार, 27 जुलाई 2017 (19:56 IST)

जस्टिस लोढा बोले, सिफारिशों की आत्मा ही खत्म कर दी...

जस्टिस लोढा बोले, सिफारिशों की आत्मा ही खत्म कर दी... - Judge RM Lodha, BCCI, Supreme Court, SGM
नई दिल्ली। न्यायाधीश आरएम लोढा ने कहा है कि वह इस बात से हैरान हैं कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने उनकी सुझाई सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों को ही मानने से इंकार कर दिया है। लोढा ने कहा, जब सर्वोच्‍च अदालत ने अपना फैसला सुना ही दिया है तो इस पर विवेचना करने का कोई मतलब नहीं है।
         
बीसीसीआई ने अपनी विशेष आम बैठक (एसजीएम) में बुधवार को लोढा समिति की कुछ सिफारिशों को लेकर फिर से अपना अड़ियल रुख दिखाते हुए उन्हें मानने से इंकार कर दिया था। न्यायाधीश लोढा तथा सर्वोच्‍च न्यायालय की समिति के अध्यक्ष ने बोर्ड के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा, मैं इस बात से हैरान हूं कि बीसीसीआई ने हमारी सुझाई सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों को ही मानने से इंकार कर दिया है।
        
उन्होंने कहा, हमने बोर्ड में ढांचागत बदलावों के लिए जो सिफारिशें दी थीं उसमें से दिल, फेफड़े और गुर्दा ही निकाल लिया है। समिति ने एक व्यापक रिपोर्ट तैयार की थी लेकिन उसके मुख्य अंशों को ही बाहर कर दिए जाने से इन सुधारात्मक कदमों का कोई मतलब नहीं रह जाता है। मुझे नहीं पता कि यह क्या हो रहा है।
        
न्यायामूर्ति लोढा ने कहा, जब सर्वोच्‍च अदालत ने अपना फैसला सुना ही दिया है तो इस पर विवेचना करने का कोई मतलब नहीं है। जब बोर्ड की सभी समीक्षा याचिकाओं को पहले ही खारिज किया जा चुका है तो यह मेरे समझ से परे है कि फिर सिफारिशों में किसी बदलाव की क्या संभावना रह जाती है।
 
न्यायमूर्ति लोढा ने आगे की स्थिति को लेकर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सर्वोच्च अदालत ही अब इस मामले में आगे कोई निर्णय करेगा क्योंकि अदालत ने लोढा समिति को केवल सिफारिशें तैयार करने का काम दिया था और समिति को इन सिफारिशों को लागू करने के लिए बीसीसीआई को बाध्य करने का अधिकार नहीं है।
       
उन्होंने कहा, यदि बीसीसीआई कार्यकारी अधिकारियों के अधिकार, शीर्ष परिषद के आकार जैसे सुधारों से इंकार कर देता है तो बीसीसीआई को इन सिफारिशों को लागू करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मुझे यकीन है कि सर्वोच्‍च अदालत ही इसे लेकर निर्णय करेगा।
                
बीसीसीआई ने अपनी एसजीएम में प्रशासकों की उम्र, कार्यकाल, कूलिंग ऑफ पीरियड तथा शीर्ष परिषद के आकार को लेकर दी गई सिफारिशों पर आपत्ति जताई है। उल्लेखनीय है कि अदालत ने अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि वह 18 अगस्त को लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने में आ रही दिक्कतों पर सुनवाई करेगा। (वार्ता)
 
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