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इंदौर टेस्ट मैच को सफल बनाने वाले 'किरदार'

इंदौर टेस्ट मैच को सफल बनाने वाले 'किरदार' - India New Zealand test match, Indore
इंदौर। भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच 11 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन भारत की 321 रनों की जीत के साथ जरूर खत्म हो गया, लेकिन इस मैच की खुमारी उतरने में अभी वक्त लगेगा। टेस्ट मैच को सफल बनाने के लिए मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की पूरी टीम अध्यक्ष संजय जगदाले, सचिव मिलिंद कनमड़ीकर, एमके भार्गव के साथ तो जुटी हुई थी, साथ में लोग और भी थे जो परदे के पीछे रहकर अपना काम कर रहे थे। और इस सफलता के असली हकदार वो इंदौरी दर्शक थे, जो 'पर्व' के बावजूद हजारों की संख्या में यहां चार दिन तक जमा हुए थे...
पहली बार होलकर स्टेडियम में चार दिन में खत्म हुए इस टेस्ट मैच को सफल बनाने में एमपीसीए ने पूरी ताकत झोंक दी थी। एसोसिएशन के इंदौर के अलावा भोपाल, रीवा, ग्वालियर, जबलपुर और सागर भी क्रिकेट सेंटर हैं। बीसीसीआई ने वन-डे मैचों के लिए इंदौर और ग्वालियर को अधिकृत किया हुआ है। यही नहीं, इंदौर, ग्वालियर में रणजी ट्रॉफी मुकाबले होते हैं जबकि अन्य सेंटरों पर बीसीसीआई के दूसरे मैचों की गतिविधियां संचालित होती हैं। सभी सेंटरों पर पिच क्यूरेटर है, जिनका वेतन एमपीसीए देता है। 
 
इंदौर में पहली बार हुए टेस्ट मैच के लिए एमपीसीए ने अपने सभी क्रिकेट सेंटरों पर काम करने वालों को बुलवाया था, ताकि उन्हें पिच क्यूरेटर समंदर सिंह के अनुभव का लाभ मिल सके। इंदौर टेस्ट के लिए रीवा से खुदा बक्क्ष, जबलपुर से ग्राउंड्‍समैन, सागर से पिच क्यूरेटर विनय शुक्ला के साथ दो ग्राउंड्‍समैन आए थे जबकि इंदौर के दूसरे रणजी सेंटर एमरल्ड हाइट्स के शैलेष श्रीवास के साथ शरद नाइक मैदान तैयार करवाने में समंदर सिंह के सहायक थे। 
सहायक पिच क्यूरेटर शैलेष श्रीवास :  एमपीसीए से शैलेष श्रीवास पिछले 16  सालों से जुड़े हुए हैं। जब नेहरू स्टेडियम पर 2000 में पहला मैच जिम्बाब्वे और नेशनल क्रिकेट एकेडमी के बीच खेला गया था तब वे पहली बार पिच और मैदान तैयार कराने में जुड़े थे  और तब से लेकर आज तक उनका यह सिलसिला बदस्तूर जारी है।
 
51 साल के शैलेष अब तक इंदौर और ग्वालियर में संपन्न हुए 7 वन-डे मैचों में बतौर पिच क्यूरेटर समंदर सिंह चौहान के सहायक के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इंदौर के दूसरे रणजी सेंटर एमरल्ड हाईट्स में वे पिच क्यूरेटर हैं। यही नहीं, वे स्टेट अंपायर पैनल में भी हैं और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कर्मचारी टीम का नेतृत्व भी करते हैं। 
 
सफल आयोजन में इनकी भी बड़ी भूमिका : इंदौर टेस्ट मैच के सफल आयोजन में एमपीसीए से जुड़े कई लोगों में वे लोग भी शामिल थे, जिन्होंने बड़ा किरदार निभाया। जब मैच चल रहा था, तब इंदौर के अमित पारखे और ग्वालियर के सुनील गुप्ता मुख्य स्कोरर थे। मीडिया बॉक्स में स्कोरिंग का कार्य मयंक थनवार और दत्तात्रय वराड़ ने निभाया। साइड स्क्रीन के ठीक ऊपर बने मेन स्कोर बोर्ड पर रीवा के धीरेन्द्र सिंह, जयंत वानखेड़े, ईस्ट गैलरी से लगे छोटे स्कोर बोर्ड पर सुमित भाटी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे थे। मैच में एमपीसीए के कुल 7 क्लालिफाइड स्कोरर लगे रहे। 

होलकर टीम के सितारों को खेलता देख चुके हैं बायस : सुशील चन्द्र बायस 80 साल की उम्र में भी फिट हैं और 60 के दशक से एमपीसीए से जुड़े हैं। उन्होंने होलकर टीम के सितारे रहे कर्नल सीके नायडु, केप्टन मुश्ताक अली, मेजर एमएम जगदाले और हीरालाल गायकवाड़ को अपनी आंखों से खेलता हुआ देख चुके हैं। इस टेस्ट मैच में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी और गेल पैवेलियन के विशेष बॉक्स में बैठकर अपनी टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि यह बेहद शानदार मैच था। भारतीय बल्लेबाजों और गेंदबाजों ने अपने खेल से काफी प्रभावित किया। मैं इस मैच को लंबे समय तक याद रखूंगा। 
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