रणजी ट्रॉफी : मुंबई को हराकर गुजरात बना चैंपियन
इंदौर। कप्तान पार्थिव पटेल (143) के शानदार शतक और मनप्रीत जुनेजा (54) के बेहतरीन अर्द्धशतक के दम पर गुजरात ने मुंबई को फाइनल में पांचवें और अंतिम दिन शनिवार को पांच विकेट से हराकर पहली बार रणजी चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
गुजरात के बल्लेबाजों ने 312 रन के लक्ष्य का बखूबी पीछा करते हुए मुंबई की 42वें रणजी खिताब जीतने की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया। गुजरात ने पहली बार रणजी फाइनल में जगह बनाई थी और उसने इतिहास रचते हुए पहली बार इस खिताब को अपने नाम किया।
गुजरात को खिताब के लिए मात्र ड्रॉ की जरूरत थी, क्योंकि उसे पहली पारी के आधार पर 100 रन की बढ़त हासिल थी लेकिन उसके बल्लेबाजों ने मुंबई की चुनौती को स्वीकार करते हुए शानदार अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए जीत अपने नाम की। गुजरात ने 89.5 ओवर में पांच विकेट के नुकसान पर 313 रन बनाकर जीत हासिल की।
गुजरात के खिलाड़ियों ने जिस तरह दूसरी पारी में लक्ष्य का पीछा किया वह वास्तव में जीत के हकदार थे। कप्तान पार्थिव पटेल ने कप्तानी पारी खेलते हुए अकेले मोर्चा संभालते हुए मुंबई के गेंदबाजों को छकाए रखा। उन्होंने चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 196 गेंदों की अपनी मैराथन पारी में 24 चौके जड़े। उन्होंने 89 रन पर तीन विकेट गिर जाने के बाद मनप्रीत के साथ शतकीय साझेदारी निभाई और टीम को जीत की ओर अग्रसर किया।
मनप्रीत ने भी 115 गेंदों की अपनी धैर्यपूर्ण पारी में आठ चौके जड़े और कप्तान का बखूबी साथ निभाया। मनप्रीत टीम के 205 के स्कोर पर अखिल हेरवदकर का शिकार बने। पार्थिव ने इसके बाद रूजूल भट्ट (नाबाद 27) के साथ पांचवें विकेट के लिये 94 रन की साझेदारी करते हुए टीम की जीत सुनिश्चित कर दी।
पार्थिव टीम के 299 के स्कोर पर पवेलियन लौटे तब जीत की मात्र औपचारिकता बची थी। चिराग गांधी (नाबाद 11) ने रुजूल के साथ मिलकर 89.5 ओवर में टीम को जीत दिला दी और इसी के साथ ही गुजरात ने पहली बार इस प्रतिष्ठित ट्राफी पर कब्जा जमाया।
इससे पहले गुजरात ने सुबह कल के बिना विकेट पर 47 रन से आगे खेलना शुरू किया। प्रियांक पांचाल ने 34 रन से तथा समित गोहेल ने नौ रन से अपनी पारी को आगे बढ़ाया। गुजरात को जीत के लिए 265 रन की जरूरत थी और उसके सभी 10 विकेट सुरक्षित थे। समित 21 तथा प्रियांक 34 रन बनाकर आउट हुए।
गुजरात को तीसरा झटका भी जल्द ही लग गया जब भार्गव मेरई मात्र दो रन बनाकर बलविंदर संधू का दूसरा शिकार बन गये। हालांकि इसके बाद कप्तान पार्थिव ने जमकर बल्लेबाजी करते हुए न केवल शतक पूरा किया बल्कि अपनी टीम को ऐतिहासिक जीत की मंजिल तक ले गए। पार्थिव ने पहली पारी में भी 90 रनों की उम्दा पारी खेली थी। मुंबई के लिए बलविंदर संधू ने 101 रन देकर दो विकेट, शार्दुल ठाकुर ने 90 रन पर तथा हेरवदकर ने 17 रन पर एक-एक विकेट लिए। (वार्ता)