Last Modified: लंदन (भाषा) ,
सोमवार, 22 जून 2009 (15:01 IST)
मिसाल बने यूनिस खान
क्रिकेट में कामयाबी दौलत और शोहरत की बुलंदियों तक पहुँचने की गारंटी भले ही हो लेकिन पाकिस्तान के कप्तान यूनिस खान ने ताबड़तोड़ क्रिकेट में विश्व चैम्पियन का दर्जा पाते ही इन सभी को धता बता दिया।
विवादों और कठिनाई के दौर से जूझती अपनी टीम को लॉर्ड्स पर टी-20 विश्व कप दिलाकर नई ऊँचाइयों को छूने वाले यूनिस ने भविष्य में भारी कमाई की सारी संभावनाओं को नकारते हुए प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि शुक्रिया मैं टी-20 क्रिकेट से रिटायर हो रहा हूँ। लुभावनी इंडियन प्रीमियर लीग समेत दुनिया भर में टी-20 क्रिकेट में होने वाली मोटी कमाई भी उनका फैसला नहीं बदल सकी।
अपार प्रतिभाशाली होने के बावजूद तमाशाई क्रिकेट में बारंबार अपनी परेड कराने वाले एंड्रयू साइमंड्स या क्रिस गेल की तरह वह दौलत के पीछे नहीं भागते। वह चोट को छिपाते नहीं और राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।
वह चाहे तो विज्ञापन कंपनियों की उनके पीछे कतार लग सकती है। लेकिन उनके लिए जीत का जश्न अल्लाह का शुक्रिया अदा करने से ज्यादा कुछ नहीं है।
यूनिस को उम्मीद है कि इस जीत से पाकिस्तान में करियर के हजारों नए आयाम खुलेंगे। उन्होंने यह जीत दिवंगत कोच बॉब वूल्मर को समर्पित करके अपना वादा निभाया। उन्हें इस बात की तनिक भी चिंता नहीं कि पाकिस्तान में इसके सियासी अंजाम क्या होंगे। तमाम योग्यताओं के बावजूद आखिर वूल्मर एक विदेशी और गोरी चमड़ी वाले थे।
यूनिस को इसकी भी चिंता नहीं कि कुछ कट्टरपंथी इससे खफा हो सकते हैं। वह सिर्फ अपने पूर्व कोच को श्रृद्धांजलि देना चाहते थे। यूनिस खान के रूप में उपमहाद्वीप ही नहीं विश्व क्रिकेट को ऐसा दार्शनिक कप्तान मिला है जो पैसे की चकाचौंध के आगे घुटने टेकने वाले क्रिकेट के आकाओं से कहीं ज्यादा इस खेल का सरपरस्त साबित हो सकता है।