फाइनल मैच का आँखों देखा हाल
इंग्लैंड का नेटवेटस्ट ट्रॉफी पर 4-3 से कब्जा
मेजबान इंग्लैंड की टीम 2004 के बाद पहली बार अपने घर में भारत के खिलाफ एक दिवसीय सिरीज जीतने में सफल रही है। 'करो या मरो' के इस अंतिम मैच में इंग्लैंड ने भारत को 7 विकेट से हराकर 7 मैचों की नेटवेस्ट सिरीज को 4-3 से अपने पक्ष में किया। कहते हैं न नियति अपने रास्ते खुद चुनती है। वनडे सिरीज इंग्लैंड के हिस्से में तो आना ही थी। इस पूरी सिरीज में इंग्लैंड के बल्लेबाज इयान बेल का जुनूनी प्रदर्शन देखते ही बनता था। इसमें कोई दो मत नहीं कि बेल के भीतर सपनों का साम्राज्य खड़ा करने की कूवत है और उन्होंने यह कर भी दिखाया। 7 मैचों में उनके बल्ले से 400 से ज्यादा रन निकले और वे सिरीज के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित हुए।वनडे में कप्तानी किस तरह की जाती है, इसकी मिसाल तो कॉलिंगवुड ने दी है। उनका हर अंदाज निराला है। पीटरसन और कॅलिंगवुड ठानकर आए थे कि लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर इंग्लैंड का परचम लहराना है, लिहाजा उनका प्रदर्शन देख दर्शकों की आँखें फटी की फटी रह गईं। भारतीय टीम महज 187 रनों पर सिमट गई थी और मेजबान टीम ने जीत का लक्ष्य 36.2 ओवरों में तीन विकेट खोकर ही हासिल कर लिया। कॉलिंगवुड 64 और केविन पीटरसन 71 रनों पर नाबाद रहे। इंग्लैंड की टीम पूरे समय मैच पर हावी रही और अनुभवी एंड्रयू फ्लिंटॉफ की वापसी से यह टीम बेहद मजबूत हो गई थी। क्षेत्ररक्षण में भी उसके खिलाड़ियों ने लाजवाब प्रदर्शन किया। अब आपसे विदा लेने का वक्त आ चुका है। हम तमाम यूजर्स के तहेदिल से शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिक्रियाएँ प्रेषित की। भविष्य में भी इसी तरह का सहयोग बनाए रखिए। फिर पता नहीं किस मोड़ पर मुलाकात हो जाए। इससे पहले इंग्लैड का तीसरा विकेट इयान बेल (36) के रूप में पैवेलियन लौटा। वे रन आउट हुए। बेल और पीटरसन के बीच तीसरे विकेट की साझेदारी में 63 रन जोड़े गए। इंग्लैंड के क्रिकेट इतिहास में यह पहला प्रसंग है, जबकि उसके दोनों बल्लेबाज शून्य पर आउट हुए हैं। व्हाइट (0) को आरपी सिंह ने अपनी ही गेंद पर लपक लिया। भारत 187 रन बनाकर कहीं से भी मैच जीतने का नहीं सोच सकता था। कॉलिंगवुड की सेना ने पहले गेंदबाजी में और फिर बल्लेबाजी में जौहर दिखाकर 2004 के बाद पहली बार अपने घर में वनडे सिरीज जीती। पीटरसन को 'मैन ऑफ द मैच' और बेल को 'मैन ऑफ द सिरीज चुना गया |
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आरपी ने अपने पहले ही ओवर में चौथी गेंद पर इंग्लैंड को दूसरा झटका दिया और प्रायर (0) को विकेटकीपर धोनी के दस्तानों में समा डाला। 11 रन पर दो विकेट खोकर इंग्लैंड काफी सदमे की स्थिति में आ गया था। वीआईपी बॉक्स में कई हस्तियाँ : इस निर्णायक मैच को देखने के लिए स्टेडियम के वीआईपी बॉक्स में कई हस्तियाँ मौजूद थीं। इन हस्तियों में इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री जॉन मेजर और भारत के केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ भी नजर आ रहे थे। भारत 187 पर सिमटा : नेटवेस्ट सिरीज के सातवें और अंतिम एक दिवसीय मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 47.3 ओवरों में 187 रन बनाए। धोनी अपने 14वें वनडे अर्धशतक के साथ आउट होने वाले अंतिम बल्लेबाज थे। भारतीय बल्लेबाजी में तबाही मचाने का काम फ्लिंटॉफ (45/3) और मैस्केरेंनस (23/3) ने किया। भारतीय बल्लेबाजों की शॉर्ट पिच गेंदों को नहीं खेल पाने की कमजोरी ही अंग्रेजों का मुख्य अस्त्र बनी। आउट होने वाले सितारे रहे सौरव गांगुली 15, गौतम गंभीर 12, राहुल द्रविड़ 0, सचिन तेंडुलकर 30, रॉबिन उथप्पा 22, युवराजसिह 28, रमेश पोवार 10, पीयूष चावला 0 , जहीर खान 7 और महेन्द्रसिंह धोनी 50 रन। रमेश पोवार 10 रनों पर तीसरे अंपायर द्वारा रन आउट घोषित किए गए। पोवार पैवेलियन लौटकर पैड्स भी नहीं उतार पाए थे कि पीयूष मैस्करेंनस की गेंद पर प्रायर द्वारा स्टम्पिंग कर लिए गए। मोंटी पानेसर ने नौवें विकेट के रूप में जहीर खान को बोल्ड कर दिया। भारत ने अंतिम विकेट धोनी (50) का गँवाया। वे फ्लिंटॉफ की गेंद पर छक्का लगाने के प्रयास में एंडरसन के हाथों लपके गए। भारतीय ड्रेसिंग रूम के बाहर का नजारा : मैदान पर जिस तरह के हालात थे, उससे भारतीय ड्रेसिंग रूम के बाहर सन्नाटा पसरा पड़ा रहा। सचिन तेंडुलकर के पास सौरव गांगुली बैठे हुए थे और अंपायर के फैसले पर काफी उत्तेजित थे। इनके ठीक पीछे टीम मैनेजर कम कोच चंदू बोर्डे दरवाजे का सहारा लिए खड़े थे। यहाँ हलकी ठंड के कारण उन्होंने जर्सी पहन रखी थी। ऑन लाइन स्कोर कार्ड
क्या द्रविड़ का फैसला सही था : क्रिकेट में दखल रखने वालों के मन में इस समय जरूर यह सवाल कौंध रहा होगा कि द्रविड़ का टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनने का फैसला सही था, जबकि आसमान में बादल छाए हुए थे। जाहिर है कि बादलों का डेरा तेज गेंदबाजों को मदद करता है और कॉलिंगवुड के सिपाहियों ने इसका फायदा भी उठाया। धोनी का धमाका नहीं : धोनी को जब से भारत की ट्वेंटी-20 टीम का कप्तान बनाया है, तब से वे बल्लेबाजी की चौकड़ी ही भूल गए हैं। पिछले 6 मैचों में उन्होंने एक भी धमाकेदार पारी नहीं खेली। मैदान पर उनकी अजीबोगरीब हरकते भी उपहास का केन्द्र बनती जा रही हैं। मसलन हर गेंद को खेलने के पूर्व वे ग्लब्स आपस में टकराते हैं, फिर हैलमेट पर हाथ फेरते हैं, फिर बल्ला नीचे ठोकते हैं। यह तमाम तरह के टोटके करने के बाद भी उनका बल्ला रनों की बरसात नहीं कर पा रहा है। इस मैच में एंड्रूयू फ्लिंटॉफ स्टेरायड का इंजेक्शन लेकर मैदान पर उतरे हैं। कल तक उनके खेलने पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ था लेकिन इस महत्वपूर्ण मैच में उन्होंने दर्द निवारक इंजेक्शन लेकर खेलने का निर्णय लिया। मैस्केरेंनस ने उथप्पा को उलझाया : अपने छक्कों ( 2 मैचों में 11 छक्के) के लिए मशहूर चुके दमित्री मैस्केरेंनस ने अपने पहले ही ओवर में जादू बिखेरा और उन्होंने पिछले मैच में विनिंग पारी खेलने वाले रॉबिन उथप्पा (22) को अपनी स्पिन के जाल में उलझाया। मिड ऑन पर आसान कैच लपकने में पीटरसन ने कोई चूक नहीं की। भारत ने 106 रनों पर पाँचवा विकेट गिरा। सचिन का फैसला विवादास्पद : सचिन 16वें ओवर में फ्लिंटॉफ का शिकार हुए हैं। गेंद ऑफ स्टंप से बाहर थी और सचिन कट करने गए। गेंद और बल्ले का कोई संपर्क नहीं हुआ। जोरदार अपील पर अंपायर अलीम डार की फौरन अँगुली उठ गई। अंपायर के फैसले से काफी निराश दिखाई दिए। वे काफी देर तक विकेट पर रुके रहे लेकिन अंपायर ने फैसला नहीं बदला। अंतत: झुके हुए कंधों के साथ सचिन ने अपने कदम पैवेलियन की ओर बढ़ा दिए। सचिन ने चार चौकों के साथ 30 रन बनाए। द्रविड़ का फ्लॉप : भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ का फ्लॉप शो लॉर्ड्स के मैदान पर भी जारी रहा। 14वें ओवर में फ्लिंटॉफ की तीसरी गेंद बैट-पैड के बीच से विकेटकीपर प्रायर के दस्तानों में समा गई। गेंद ने बल्ले का अंदरूनी किनारा लिया था। द्रविड़ को यहाँ खाता खोलने का मौका भी नहीं मिला। तीन विकेट 52 रनों पर गिर जाने के बाद सचिन पर अतिरिक्त दबाव आ गया है। सचिन तेंडुलकर 26 और युवराजसिंह 0 पर क्रीज में हैं।गंभीर 12 रन बनाकर आउट : भारत ने दूसरा विकेट 52 रनों के कुल स्कोर पर गौतम गंभीर का गँवाया। एंडरसन लगातार सातवाँ ओवर डालने आए और तीसरी गेंद उन्होंने शॉर्ट रखी। गंभीर ने करारा स्ट्रोक खेला लेकिन उतनी ही खूबसूरती से राइट ने कैच लपककर कॉलिंगवुड की शाबासी प्राप्त की। गंभीर 12 रन बनाकर आउट हुए। कोलकाता का प्रिंस पैवेलियन में : सौरव गांगुली 15 रन बनाकर एंडरसन के शिकार हुए। गेंद ऑफ स्टम्प से काफी बाहर थी और उसे झेड़ने का खामियाजा गांगुली को भुगतना पड़ा। स्लिप में फ्लिंटॉफ ने कैच लपकने में कोई गलती नहीं की। भारत ने पहला विकेट 26 रनों पर खोया। नेटवेटस्ट ट्रॉफी के इस निर्णायक (फाइनल) मैच में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान से आप सभी यूजर्स का हार्दिक स्वागत है। भारत और इंग्लैंड के बीच यहाँ क्रिकेट की आखिरी जंग हो चुकी है। लॉर्ड्स को क्रिकेट का 'मक्का' कहा जाता है और उम्मीद की जानी चाहिए कि 'क्रिकेट का महासंग्राम' एक यादगार छाप छोड़ जाएगा।भारत ने टॉस जीता और बल्लेबाजी चुनी : राहुल द्रविड़ की किस्मत के सितारे काफी बुलंद हैं और आज एक बार फिर उन्होंने सिक्के की उछाल में बाजी मारी है। यहाँ पर आसमान में हल्के बादल हैं और द्रविड़ चाहते हैं कि एक बड़ा स्कोर बनाकर मेहमान टीम को दबाव में लाया जा सके। भारतीय टीम में परिवर्तन : राहुल की सेना में एक योद्धा का बदलाव किया गया है और अजीत आगरकर के स्थान पर आरपी सिंह को टीम में शामिल किया गया है। सीडी को तोड़ा गया : भारतीय क्रिकेट टीम ने इस मैच के पूर्व एक सीडी देखी थी। यह सीडी थी 2002 की, जब भारत ने नेटवेस्ट ट्रॉफी में इंग्लैंड को हराया था। इसी मैच में जीत के बाद पैवेलियन में सौरव गांगुली अपनी टीशर्ट उतारी थी। भारतीय टीम ने इस सीडी को देखने के बाद उसे तोड़ दिया। टीम चाहती है कि इतिहास को भूलकर वह 8 सितम्बर 2007 को यहाँ एक नया इतिहास रचे। '
चक दे इंडिया' की धूम यहाँ भी : महिला हॉकी को प्रमोट करने के लिए शाहरुख खान की फिल्म 'चक दे इंडिया' दुनिया भर में धूम मचा रही है। इस धूम से लॉर्ड्स का मैदान भी अछूता नहीं रहा। भारतीय टीम जब ड्रेसिंग रूम में एक पुरानी सीडी देख रही थी, तब पार्श्व में चक दे इंडिया का गीत चल रहा था। यह गीत भारतीय सितारों में नया जज्बा जगा रहा था। आज हर कोई चाहता है कि भारतीय क्रिकेटर लॉर्ड्स पर 'चक दे इंडिया' करें और क्रिकेट बिरादरी को दिखा दें कि उनकी बाजुओं में कितना दमखम है। यादगार रहा है क्रिकेट का मक्का : लॉर्ड्स के मैदान से कई ऐतिहासिक यादें जुड़ी हुई हैं। यहीं पर 25 जून 1983 में कपिल की अगुवाई में भारत ने प्रुडेंशियल विश्व कप जीता था और फाइनल में वेस्टइंडीज को 43 रनों से हराया था। इस मैदान पर भारत ने कुल 5 मैच खेलें हैं और 4 में उसे फतह हासिल हुई है। इंग्लैंड ने यहाँ खेले 35 मैचों में से 17 में जीत दर्ज की और 16 में उसे हार मिली है। 1 मैच टाई रहा और एक में फैसला नहीं हो सका।