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गुरुवार, 19 अगस्त 2010 (23:13 IST)
धोनी की प्राथमिकी पर फैसला सुरक्षित
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कलकत्ता की विज्ञापन एवं प्रचार कंपनी गेम प्लान स्पोर्टस प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कथित तौर पर अनुबंध तोड़ने के मामले में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की पुलिस प्राथमिकी पर झारखंड उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।
इससे पूर्व न्यायालय ने इस मामले में धोनी और विज्ञापन कंपनी को आपस में मामला सुलझाने को कहा था।
झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डीजीआर पटनायक की पीठ ने धोनी की यहाँ उक्त कंपनी के खिलाफ डोरंडा पुलिस थाने में इस वर्ष 15 जून को दर्ज कराई गई प्राथमिकी की वैधता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायालय ने मामले में दोनों पक्षों की दलीलों पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली।
धोनी ने इस कंपनी पर अपने साथ 10 करोड़ 46 लाख रुपए की धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। इससे पहले दोनों पक्षों ने न्यायालय को सूचित किया कि उनके बीच आपस में इस मामले में कोई सुलह नहीं हो सकी है।
धोनी के इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद इस कंपनी के निदेशकों इंद्रजीत बनर्जी जीत बनर्जी और मालविका बनर्जी ने उच्च न्यायालय की शरण लेकर अपने खिलाफ दाखिल प्राथमिकी को रद्द करने की गुजारिश की थी।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस को इस मामले में सुनवाई पूरी होने तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने के निर्देश दिए थे और दोंनों पक्षों को आपस में बातचीत कर मामला सुलझाने को कहा था।
अदालत के निर्देश के बाद दोनों पक्षों के प्रतिनिधि अपने वकीलों के साथ कलकत्ता में कोलकाता क्लब में 15 अगस्त को बातचीत के लिए एकत्रित हुए लेकिन उनके बीच इस मुद्दे पर कोई समझैता नहीं हो सका।
इस मामले में धोनी के वकीलों का कहना है कि धोनी ने कंपनी के साथ तीन वर्षों के करार पर हस्ताक्षर कि थे जिसके अनुसार गेम प्लान स्पोर्टस लिमिटेड को धोनी की तरफ से उनका नाम इस्तेमाल करने की इच्छुक कंपनियों या विज्ञापन एजेंसियों के साथ बातचीत करनी थी और समझौते को अंतिम रूप देना था।
यह करार 18 जनवरी 2005 से 31 जनवरी 2008 तक ही वैध था। इसके अनुसार इस दौरान मिलने वाली विज्ञापन राशि का 70 प्रतिशत धोनी को मिलना था तथा शेष तीस प्रतिशत कंपनी अपने पास रखती।
धोनी ने अपनी प्राथमिकी ने कहा है कि जनवरी 2008 में समझौते की की मियाद पूरी होने के बाद गेम प्लान कंपनी का एकाधिकार खत्म हो गया और इसके बाद उसे सिर्फ भारत पेट्रोलियम कापरेरेशन टाइटेन इंडस्ट्री और लाफार्ज सीमेंट के साथ उनके अनुबंध को फ्रीलांस आधार पर पूरा करवाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन गेम प्लान ने धोनी के साथ ही कथित तौर पर गेम कर दिया और इन तीनों कंपनियों से मिली पूरी रकम उसने हड़प ली।
धोनी के वकील इंद्रजीत सिन्हा ने बताया कि कंपनी के साथ सुलह नहीं हो सकी है क्योंकि वह 2005 और 2008 के बीच धोनी के लिए लाए गए विज्ञापनों का तीस प्रतिशत कमीशन अभी भी माँग रही है जबकि उसके साथ धोनी का समझौता सिर्फ तीन वर्ष के लिए था। (भाषा)