Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) ,
सोमवार, 15 जून 2009 (17:40 IST)
धोनी की किस्मत पर लग गया 'ब्रेक'
किस्मत के महाधनी भारतीय क्रिकेट कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की किस्मत पर आखिर ब्रेक लग गया। इंग्लैंड के खिलाफ 'करो या मरो' के मुकाबले में धोनी की किस्मत उनसे रुठ गई और वह अंग्रेजों से फिर 'लगान' नहीं वसूल सके। सारे के सारे अनुमान धरे रह गए और गत चैम्पियन भारत ट्वेंटी- 20 विश्व कप से बाहर हो गया।
भारत की विश्व कप से विदाई ने अब कई सवाल खड़े कर दिए है जिनका जवाब निश्चित रूप से धोनी को कुछ दिनों बाद स्वदेश लौटने पर देना होगा। दरअसल भारत के विश्व कप अभियान की शुरुआत ओपनर वीरेन्द्र सहवाग की चोट को लेकर उठे विवाद के साथ हुई थी और उसका अन्त इंग्लैंड के खिलाफ तीन रन से मिली पराजय के साथ हुआ। भारत को हालाँकि सुपर आठ में अपना आखिरी मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलना है, लेकिन उस मैच के अब कोई मायने नहीं रह गए हैं क्योंकि भारतीय चुनौती समाप्त हो चुकी है।
सुपरआठ में धोनी ने वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड के खिलाफ मुकाबलों में कई गलतियाँ की जिसका खामियाजा उन्हें दोनों ही मैचों में हार के रूप में भुगतना पड़ा। वेस्ट इंडीज के खिलाफ मैच में भारत ने कैरेबियाई टीम को लक्ष्य का पीछा करने दिया और अंग्रेजों के खिलाफ खुद लक्ष्य का पीछा नहीं कर पाए।
इंग्लैंड के खिलाफ 154 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए धोनी ने अपने बल्लेबाजी क्रम को सही इस्तेमाल नहीं किया। इतने महत्वपूर्ण मैच में रवीन्द्र जडेजा जैसे युवा खिलाड़ी पर एकदम भारी जिम्मेदारी डाल देना समझदारी भरा फैसला नहीं कहा जा सकता। जड़ेजा और गौतम गंभीर के बीच धीमी साझेदारी ने आने वाले बल्लेबाजों पर दबाव बना दिया। दोनों बल्लेबाजों में से किसी ने भी इस दौरान गेंद को मारने की कोशिश नहीं की।
गंभीर जब 11 वें ओवर में आउट हुए तो उस समय भारत का स्कोर मात्र 62 रन था। जड़ेजा पर तो दबाव माना जा सकता है, लेकिन गंभीर जैसे अनुभवी बल्लेबाज का दबकर खेलना वाकई हैरतअंग्रेज था। इस धीमी साझेदारी ने भारत के हाथ से मैच निकाल दिया। रही सही कसर युवाज सिंह के 14वें ओवर में स्टम्प हो जाने से पूरी हो गई।