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Written By वार्ता
Last Modified: वेलिंगटन , गुरुवार, 16 सितम्बर 2010 (15:21 IST)

अंपायरों को नहीं था स्पॉट फिक्सिंग का शक

स्पॉट फिक्सिंग
स्पॉट फिक्सिंग के घेरे में आए लार्ड्स टेस्ट मैच के दौरान अंपायरिंग कर रहे दोनों अंपायरों को तनिक भी यह शक नहीं हुआ था कि जानबूझकर नोबॉल फेंकने का मतलब फिक्सिंग भी हो सकता है।

न्यूजीलैंड के अंपायर टोनी हिल ने कहा कि उन्हें उनके साथी अंपायर बिली बाउडन को स्पाट फिक्सिंग की तनिक भी शंका नहीं हुई थी।

उन्होंने कहा ‍कि हम तो यह सोच रहे थे कि फॉर्म में चल रहे बल्लेबाज जोनाथन ट्राट को अस्थिर करने की रणनीति के तहत पाक गेंदबाज उन्हें जानबूझकर नोबाल फेंक रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कई बार गेंदबाज विपक्षी बल्लेबाजों का ध्यान बँटाकर उनका विकेट हासिल करने के लिए जानबूझकर नोबॉल अथवा वाइड गेंद फेंकने की रणनीति अपनाते हैं। हमें लगा था कि मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ भी वही तरीका अपना रहे हैं।

गौरतलब है कि इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच गत महीने के अंतिम सप्ताह में खेले गए लार्ड्स टेस्ट के दौरान स्पॉट फिक्सिंग के आरोप लगे हैं। इन आरोपों के सामने आने के बाद आमिर और आसिफ के साथ पाक टीम के कप्तान सलमान बट्ट को भी टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इस प्रकरण की जाँच आईसीसी के साथ स्काटलैंड यार्ड पुलिस भी कर रही है।

उन्होंने कहा कि जब गेंदबाज ने बॉलिंग क्रीज से बहुत आगे निकलकर एक नोबॉल फेंकी तो हमें यही लगा कि यह ट्राट को अस्थिर करने की चाल है। मैंने इस बारे बाउडन से बात भी की।

उन्होंने कहा कि लार्ड्स टेस्ट के तीसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद ही उन्हें और बाउडन को यह पता चल पाया था कि पाक क्रिकेटरों पर स्पाट फिक्सिंग के आरोप लगे हैं। उन्होंने कहा कि उसके बाद तो पूरा मैच ही इस आरोप के साए में छिप गया।

बहरहाल उन्हें इस बात का मलाल है कि लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर पहली बार टेस्ट मैच में अंपायरिंग करने का उनका अनुभव विवादों से भरपूर रहा।

उन्होंने कहा कि लॉर्ड्स में अंपायरिंग करना मेरे लिए खास पल था लेकिन अंत में यह टेस्ट गलत कारणों में चर्चा में आने के लिए याद किया जाएगा। (वार्ता)