नई दिल्ली। सब्जियों की कीमत में गिरावट के बीच थोक मुद्रास्फीति मार्च में तेजी से गिरकर 5.96 फीसदी पर आ गई, जो इसका 3 साल का न्यूनतम स्तर है। मुद्रास्फीति का दबाव कम होने से रिजर्व बैंक अगले महीने आने वाली अपनी सालाना मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती पर विचार कर सकता है।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति फरवरी 2013 में 6.84 फीसदी तथा मार्च 2012 में 7.69 फीसदी थी। रिजर्व बैंक ने इस वर्ष मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति के 6.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।
मुद्रास्फीति में गिरावट और फरवरी के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 0.6 फीसदी पर आ जाने के मद्देनजर यह संभावना बढ़ी है। रिजर्व बैंक अगले महीने आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। आरबीआई 3 मई को अपनी सालाना मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। (भाषा)
सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक मार्च में विनिर्मित उत्पाद वर्ग की मुद्रास्फीति आंशिक तौर पर घटकर 4.07 फीसदी पर आ गई। फरवरी में यह 4.51 फीसदी पर थी। थोक मूल्य सूचकांक में 14.34 फीसदी का भारांक रखने वाले खाद्य उत्पादों संबंधी मुद्रास्फति आलोच्य माह में घटकर 8.73 फीसदी रह गई। इस वर्ग की मंहगाई दर फरवरी में 11.38 फीसदी थी।
सब्जियों की कीमत तेजी से घटने के कारण खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट को मदद मिली। सब्जियों की मुद्रास्फीति मार्च में शून्य से 0.95 फीसदी कम थी जो इससे पिछले महीने 12.11 फीसदी थी। प्याज की कीमत मार्च के महीने में 94.85 फीसदी बढ़ी जबकि फरवरी में इसकी महंगाई दर 154.33 फीसदी थी।
चावल की मंहगाई दर मार्च में घटकर 17.90 फीसदी रह गई, जो पिछले महीने 18.84 फीसदी थी। जनवरी माह के संशोधित आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 7.31 फीसदी थी। इसे प्रारंभिक आंकड़ों में 6.62 फीसदी बताया गया था। (भाषा)