नई दिल्ली। अगर आपको आईटी रिटर्न के बाद आयकर विभाग की ओर से कोई नोटिस मिलता है तो आपको यह तय करना होगा कि क्या यह वास्तव में वैध नोटिस है या नहीं, क्योंकि इसे आप आयकर कानूनों की रोशनी में नकार भी सकते हैं। आईटी रिटर्न भरने के बाद भी अगर आपको वैध नोटिस मिलता है तो आपको यह तय करना होगा कि किन कानूनी प्रावधानों के तहत आपको नोटिस दिया गया है।
लेकिन अगर आपको इस आशय के नोटिस मिलते हैं कि कर की गणना करते समय गलती हुई है इसलिए आपको रिफंड जारी किया गया है। इस तरह के ई-मेल मिलने के चलते बहुत से आयकर दाता फर्जी मेल के शिकार हो सकते हैं। इन लोगों से कहा जाता है कि वे नेट बैंकिंग लॉगइन पेज पर जाकर अपने यूजरनेम और पासवर्ड को लिखें।
ध्यान रहे कि आपको ऐसा कुछ नहीं करना है क्योंकि ये हैकर्स की चाल हो सकती है। ये काम तभी हो सकता है जबकि हैकर्स को सेंडर्स का पता मालूम हो। विदित हो कि इस तरह के मामलों में सरकारी आईटी मेल का जवाब डोंटरिप्लाई एट इनकमटैक्सइंडियाइफाइलिंग डॉट जीओवी डॉट इन पर दिया जाए। अगर इस बात पर गौर करें तो आप देखेंगे कि फर्जी आईडी से भेजा गया नोटिस अपने आप गायब हो जाएगा।
लेकिन अगर आपको आयकर विभाग से वैध नोटिस मिला है तो आप जान लें कि आपको क्या करना चाहिए?
धारा 139 (9) के अंतर्गत इस धारा के अंतर्गत आपको तब नोटिस भेजे जाने के पात्र हैं अगर फाइलिंग करते हुए इस तरह की कोई गलती हुई हो।
(1) अगर आपने समूचा देय टैक्स नहीं भरा हो
(2) अगर आपने काटे गए टैक्स पर रिफंड का दावा किया हो, लेकिन आपने संबंधित आय का जिक्र नहीं किया हो। (3) यदि फॉर्म पर आपका नाम और पैन कार्ड में आपका एक जैसा न हो।
(4) आपने देय टैक्स चुकाया हो लेकिन आय का जिक्र नहीं किया हो।
समय सीमा : इस तरह के नोटिस के तहत जवाब देने की सीमा 15 दिन है, यह तब से लागू होगी जो तिथि मूल्यांकन अधिकारी के नोटिस पर दर्ज हो। आप अधिकारी से लिखित संपर्क करके समय सीमा को बढ़वा लें। अगर आप जवाब नहीं देते हैं तो आपके रिटर्न को अवैध माना जाएगा।
कैसे जवाब दें?
आप आयकर फाइलिंग स्थल पर जाकर संबंधित मूल्यांकन वर्ष के अंतर्गत सही आईटी नियम के अंतर्गत जवाब दें। इसके बाद आप विकल्प लिखेंगे कि 'धारा 139 (9) के अंतर्गत उस नोटिस के जवाब में जिसके तहत भरा गया रिटर्न दोषपूर्ण था।' इसमें आप रिफरेंस नंबर और एक्नॉलेजमेंट नंबर को लिखें और वांछित सुधार के साथ फॉर्म को भरें। 'ई फाइल' के अंतर्गत 'इ फाइल नोटिस यू/एस 139 (9) भरें और इसके लिए नोटिस में दिए पासवर्ड का प्रयोग करें।
धारा 143 (1) के अतंर्गत
यह नोटिस की बजाय आपको सूचना है जो कि आपके भरे गए रिटर्न्स के बारे में है। इस धारा के अंतर्गत आपको तीन प्रकार के नोटिस मिल सकते हैं।
(1) आपके कर मूल्यांकन के बाद आपके अंतिम मूल्यांकन हो सकता है जो कि मू्ल्यांकन अधिकारी ने किया हो।
(2) यह रिफंड का नोटिस भी हो सकता है जिसमें बताया जाता है कि मूल्यांकन अधिकारी ने गणना के दौरान ज्यादा कर दिखा दिया हो।
(3) यह डिमांड नोटिस हो सकता है जिसमें मूल्यांकन अधिकारी ने लिखा हो
इस नोटिस का जवाब देने की समय सीमा उस एक वर्ष की समाप्ति से पहले है जिस वितीय वर्ष के अंत में आपने रिटर्न भरा हो।
इसका कैसे जवाब दें?
अगर रिटर्न में कोई गड़बड़ी नहीं है तो आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। यह रिटर्न में दर्शाए गए बैंक खाते में वापस कर दिया जाएगा। अगर यह ट्रांसफर नहीं किया जाता है तो रिफंड को दोबारा वापस करने का अनुरोध करें। आपको देय रिफंड तीस दिनों के भीतर करना होगा।
धारा 143 (1 ए)
यह वास्तव में प्रस्तावित समायोजनों की सूचना है। इसका अर्थ है कि यदि रिटर्न और फॉर्म 16 में दर्शाई गई आय में कोई गलती है या फिर सेक्शन 80 सी अथवा चैप्टर फोर ए और फॉर्म 26 एएस में कटौतियां की गई हैं तो इस नोटिस के जरिए सत्यापन की कार्रवाई की जाएगी।
जवाब देने की समय सीमा - इस सूचना के जारी होने की तिथि से 30 दिनों के अंदर
कैसे जवाब दें?
टैक्स फाइलिंग पोर्टल में लॉग इन करने के बाद आपको 'ई प्रोसेसिंग' भाग के अंतर्गत दस्तावेजी प्रमाण की सहायता के साथ गलती को बताएं और इसे अपलोड कर दें।
धारा 148
आपको यह नोटिस तब मिलेगा अगर किसी आय की गणना या मूल्यांकन छूट गई हो। नोटिस देने की समय सीमा- अगर छूट गई आय एक लाख रुपए है या इससे कम है तो इसे मूल्यांकन वर्ष के अंत से आगामी चार वर्षों के दौरान भेजा जा सकता है, लेकिन अगर छूटी गई राशि एक लाख से अधिक है तो आप निर्धारण वर्ष के छह वर्ष के भीतर नोटिस भेज सकते हैं।
जवाब देने की समय सीमा- मूल्यांकन अधिकारी के नोटिस के नियमों के अनुरूप या कोई नियति अवधि के दौरान या रिटर्न दाखिल करने के तीस दिनों के भीतर रिटर्न दाखिल कर दिया जाए।
कैसे जवाब दें ?- आपको रिटर्न्स के लिए संबंधित निर्धारण वर्ष के अंतर्गत रिटर्न फाइल करना होगा या इस मामले में मूल्यांकन अधिकारी ने जो निर्देश दिए हों।
अनुच्छेद 143 (2)
यह मूल्यांकन नोटिस की जांच का नोटिस होता है जिसके तहत रिटर्न का प्रारंभिक निर्धारण किया जाता है।' यह तीन प्रकार का हो सकता है जिसमें से पहले दो कम्प्यूटर की सहायता से स्क्रूटनी सेलेक्शन (सीएएसएस) से होता है जबकि तीसरा हाथों से स्क्रूटनी (छानबीन) का नोटिस होता है।
इस प्रकार के निर्धारण की समय सीमा वर्ष 2017-18 के लिए 18 माह होंगे जबकि इससे पहले यह समयावधि 21 महीनों की होती है और संभावना है कि इसे अगले वर्ष से बारह माह तक किया जा सकता है।
(1) सीमित उद्देश्य की छानबीन- यह पूरी तरह से छानबीन नहीं होती है और इसमें केवल एक या दो बिंदुओं पर जोर दिया जाता है और इनका सत्यापन भी मांगा जा सकता है।
(2) पूरी तरह से छानबीन - अगर टैक्स रिटर्न में गंभीर गलतियां, खामियां होने की संभावना होती है तब पूरी या विस्तृत छानबीन की जाती है।
(3) हाथों से छानबीन- यह मशीनों की बजाय मूल्यांकन अधिकारी के हाथों द्वारा की जाती है लेकिन इसे भेजने का काम तभी होता है जबकि इसके लिए आयकर आयुक्त की स्वीकृति मिल जाती है।
नोटिस देने की समय सीमा- रिटर्न भरे गए वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद छह माह तक पूरा होने से पहले की जा सकती है।
जवाब देने की अवधि - इसमें आयकर दाता को व्यक्तिगत रूप से या अपने किसी प्रतिनिधि के जरिए जवाब देना होता है और नोटिस में दर्शाई गई तिथि को अधिकारी के सामने की जाती है।
कैसे जवाब दें?- आपको अपनी आय और व्यय से संबंधित सभी दस्तावेजों और अन्य संबंधित दस्तावेजों के साथ तैयार रहना चाहिए और इस तिथि पर अनुपस्थित रहने की गलती न करें। अगर आप इस धारा के अंतर्गत प्रावधानों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं तो आपको इस प्रक्रिया को भुगतना पड़ सकता है।
(1) बेस्ट जजमेंट मूल्यांकन, इसका अर्थ है कि अधिकारी मूल्यांकन का निर्धारण और इसे कन्फर्म करता है और वह अपने विवेक के अनुसार जो कराधान उचित समझता है, कर देता है।
(2) धारा 271 (1)(बी) के तहत दंड का प्रावधान यह है कि प्रत्येक बार असफल होने पर आप पर दस हजार रुपए का अर्थदंड किया जाता है।
(3) इसके तहत धारा 276 डी के अंतर्गत मुकदमा चलाया जाता है और आपको एक वर्ष सजा, दंड सहित या दंड रहित जुर्माना किया जा सकता है।
धारा 234 (एफ)
आयकर विधान में यह नई धारा जोड़ी गई है जिसके अनुसार अगर संबंधित मूल्यांकन वर्ष की 31 जुलाई तक फी या अर्थदंड नहीं भरा जाता है। अब तक नौकरीपेशा लोग इस तरह की लापरवाही के आदी थे लेकिन अब सभी के लिए रिटर्न भरना अनिवार्य कर दिया गया है। अब तक को रिटर्न न भरे जाने की स्थिति में पांच हजार रुपए का अर्थदंड किया जाता था।
लेकिन यह प्रावधान मूल्यांकन वर्ष 2018-19 से लागू किया जाना है और अगर निर्धारित तिथि तक रिटर्न नहीं भरा जाता है तो संबंधित वर्ष की 31 दिसंबर से दस हजार रुपए का अर्थदंड किया जाता है, लेकिन जरूरी है कि कर निर्धारण वर्ष की 31 दिसंबर के बाद चुकाया जाता है, लेकिन जिनकी वार्षिक आय पांच लाख से कम है उनके लिए एक हजार रुपए के दंड का प्रावधान किया गया है।