अमेरिकी कांग्रेस ने 700 अरब डॉलर के बेल आउट बिल को हरी झंडी दे दी है, लेकिन सीनेट ने इस राहत पैकेज को कुछ संशोधनों के साथ स्वीकार किया है। सीनेट ने कहा है कि इस बिल में टैक्स में कटौती और बैंक जमाओं के लिए बीमा सीमा संबंधी संशोधनों को जोड़ा गया है लेकिन बिल में क्या-क्या खास बाते हैं, इस बात को जानना महत्वपूर्ण होगा।
अर्थव्यवस्था का स्थिरीकरण : सबसे पहले तो यह जान लें कि इसे आपातकालीन आर्थिक स्थिरीकरण कानून, 2008 का नाम दिया गया है। इस कानून का प्रमुख उद्देश्य अर्थव्यवस्था को नीचे जाने से बचाना है और इस कानून के तहत वित्त मंत्री (सेक्रेटरी ऑफ द ट्रेजरी) को 700 अरब डॉलर की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
वित्त मंत्री इस राशि का उद्देश्य उन कर्जों और संपत्तियों को खरीदने में कर सकते हैं, जिनके कारण अमेरिकी वित्तीय संस्थाओं का बुरा हाल है। इनकी खराब हालत के कारण कामकाजी लोग और छोटे कारोबारियों को अपने कामकाज को चलाने में बहुत मुश्किल हो रही है।
छोटी और बड़ी कंपनियों को कर्ज नहीं मिल पा रहा है, जबकि अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए इनका सुचारु रूप में होना जरूरी है। इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि कंपनियों के डूब गए या मुसीबत में पड़ गई संपत्तियों को सुरक्षित बनाए रखना है।
लोगों के घरों की सुरक्षा : इस कानून के तहत डूब रहे कर्जों को संशोधित करने का प्रावधान है। सरकार चाहती है कि ऐसे लोग घरों से बेदखल न हों जिन्होंने घर खरीदी के लिए कर्ज तो ले लिया है लेकिन अब इसे चुकाने की हालत में नहीं हैं। इस मामले में सरकारी एजेंसियाँ भी कर्ज की अपनी शर्तों को नरम बनाएँगी।
करदाताओं के हितों का सवाल : अमेरिकी नेताओं ने कांग्रेस के दोनों सदनों में यही बात जोर देकर कही थी कि सरकार की इस योजना से करदाताओं पर अवाँछित बोझ नहीं पड़ना चाहिए और अमेरिकी शेयर बाजार (वाल स्ट्रीट) की गलतियों का खामियाजा करदाताओं को नहीं भुगतना पड़े।
इस नए कानून के अंतर्गत कंपनियाँ अपने डूबे कर्जों को सरकार को बेचें, लेकिन जब कंपनियाँ लाभ कमाने की स्थिति में आएँ तो इसका लाभ करदाताओं को मिलना चाहिए। कानून के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति को भी ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करना होगी कि वित्तीय संस्थानों की योजनाअओं की वजह से करदाताओं को कोई नुकसान न उठाना पड़े।
अधिकारियों पर नकेल : सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जिन अधिकारियों या लोगों के कारण यह हालत पैदा हुई है उन्हें कोई भी ऐसा मौका नहीं दिया जाए कि वे अपनी गलतियाँ सरकार के माथे मढ़कर बढ़ा लाभ कमाएँ। इसलिए राहत योजना में शामिल कंपनियों की कर राहत वापस ले ली जाएगी। इतना ही नहीं, सरकार कंपनियों में अधिकारियों के वेतन की सीमा भी तय कर सकेगी।
रकम खर्च करने का तरीका : जैसा कि इस बात को लेकर कांग्रेस के दोनों सदनों में विवाद हुआ और यह तय किया गया कि इस कानून के तहत सारी रकम को एकमुश्त नहीं दी जाए। इस कारण से शुरुआत में केवल 250 अरब डॉलर की राशि ही मुहैय्या कराई जाएगी।
इसके खर्च होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति को संसद को बताना होगा कि इस कानून के क्रियान्वयन के लिए कितनी और राशि की जरूरत है और यह रकम भी किश्तों में दी जाएगी।