कहीं आप किसी निर्दोष को सजा तो नहीं दे रहे हैं?
एक बार की बात है, एक राज्य का एक राजा हुआ करता था, उसके पास एक सुन्दर सा तोता था। वह तोता बड़ा चतुर और बुद्धिमान था इस वजह से ही राजा उससे बहुत खुश रहता था। एक दिन तोता राजा से विनती करने लगा कि उसे अपने माता-पिता से मिलने जाना है।
राजा ने तोते की बात मान ली और उससे कहा कि ठीक है पर तुम्हें पांच दिनों में वापस लौटना होगा। वह तोता खूशी-खूशी जंगल की ओर उड़ गया और अपने माता-पिता से मिलकर बहुत खुश हुआ। अब पांच दिन बीत चुके थे, अब उसे वापस राजा के पास लौटना था। उसने रास्ते में लौटते हुए सोचा कि क्यों न राजा के लिए एक सुन्दर सा उपहार लेकर जाया जाए।
तोते को रास्ते में अमृत के फलों का एक पेड़ दिखा, तो उसने सोचा कि राजा के लिए इस पेड़ से अमृत का फल तोड लेता हूं। इसे खाने से राजा हमेशा जवान बने रहेंगे और वे कभी नहीं मरेंगे। ये पेड़ एक ऊंचे पर्वत पर था। तोता पर्वत पर पहुंचा और फल तोड़ लिया लेकिन इतना उंचा उड़ते हुए वह थक चुका था। उसने सोचा की रात को यही पेड़ के नीचे आराम कर लेता हूं और सुबह होते ही उड़कर राजा के महल पहुंच जाउगा।
जब तोता रात को सो रहा था, तभी एक विषैले सांप ने फल को खाना शुरू कर दिया, इस वजह से वह फल जहरीला हो गया। तोता अगले दिन महल पहुंचा और राजा को फल खाने को दिया। तभी मंत्री ने कहा कि महाराज पहले इस फल को कुत्ते को खिलाएं। राजा ने फल का एक टुकड़ा कुत्ते को खिला दिया, जैसे ही कुत्ते ने फल खाया वह तड़प -तड़प कर मर गया। राजा बहुत क्रोधित हुआ और अपनी तलवार से तोते का सिर धड़ से अलग कर दिया। राजा ने वह फल बाहर फेंक दिया| कुछ समय बाद उसी जगह पर एक पेड़ उगा।
राजा ने पूरे राज्य में सख्त हिदायत दी कि कोई भी इस पेड़ का फल ना खाएं क्योंकि राजा को लगता था कि यह अमृत फल जहरीला हैं और तोते ने यही फल खिलाकर उसे मारने की कोशिश की थी।
एक दिन एक बूढ़ा आदमी उस पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा था। उस इस पेड़ की कहानी नहीं पता थी और उसने एक फल खा लिया। फल खाते ही वह जवान हो गया क्यूंकि उस वृक्ष पर उगे हुए फल जहरीले नहीं थे। जब इस बात का पता राजा को चला तो उसे बहुत ही पछतावा हुआ की उन्होंने एक निर्दोष को सजा दे दी।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी अपराधी को सजा देने से पहले यह देख ले कि उसकी गलती है भी या नहीं, कहीं भूलवश आप किसी निर्दोष को तो सजा देने नहीं जा रहे हैं..