मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025
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Written By WD

बच्चों से मुतअल्लिक़ छोटी-छोटी नज्में

बच्चों से मुतअल्लिक़ छोटी-छोटी नज्में -
घर में मेहमान आने वाला है
उसके स्वागत की देखो तैयारी
जैसे भगवान आने वाला है घर में

क्या से आँखों को खोलता भी है
तुमने पूछा था पहले दिन मुझसे
अब वो तुतला के बोलता भी है क्या ये

अपने चेहरे को ढाँकता बच्चा उफ वो कितना हसीन लगता है
माँ के आँचल से झाँकता बच्चा अपने चेहरे को

कितना सुंदर है, कितना प्यारा है
माँ के हाथों में खेलता बच्चा
चाँद के पास जैसे तारा है कितना सुंदर है

सबकी आँखों की रोशनी है तू
जब से तू खेलता है बगिया में
भीनी भीनी सी फैली खुशबू है सबकी

अपने नाती का मैं जोड़ा बनकर
खेलता हूँ मैं साथ में उसके
कभी बंदर कभी घोड़ा बनकर... अपने

उसका नौकर भी बनना पड़ता है
अपने बच्चे की हँसी के लिए
मुझको जोकर भी बनना पड़ता है उसका नौकर

ज़िंदगी भर का मेरा साथी है
सिर्फ बच्चा नहीं है वो मेरा
वो बुढ़ापे की मेरे लाठी है ज़िंदगी भर

प्यार ही प्यार है या उल्फ़त है
खुद पहलवान न घोड़ा बन जाए
एक बच्चे में इतनी ताकत है प्यार प्यार

दोस्त बच्चे तुम्हें बना लेंगे
आज तुम इनकी देखभाल करो
कल बुढ़ापे में ये संभालेंगे दोस्त

आकी ज़िंदगी संवारेंगे
कश्तियाँ जब पुरानी होंगी तो
पार बच्चे ही तो उतारेंगे आपकी

ज़िंदगी इनकी खूबसूरत है
आप दें ध्यान अपने बच्चों पर
बस यही वक्त की जरूरत है

इससे ज्यादा तो हम नहीं कहते
अपने बच्चों पे ध्यान दें वरना
दिन सदा एक से नहीं रहते

पढ़ने वो मेरे पास आते हैं
भाईचारे एकता का सबक
बच्चे मुझको पढ़ाके जाते हैं ये जो बच्चे...

ग़म को इस तरह झेलता हूँ मैं
जब ये हद से ज्यादा बढ़ जाए
साथ बच्चों के खेलता हूँ मैं ग़म को...

मैंने एक डॉक्टर को देखा है
प्यार करता है पहले बच्चों से
फिर मरीज़ों पे ध्यान देता है

बिन पढ़ों को तो हम पढ़ाएँगे
पास जिनके हैं डिगरियाँ लेकिन
उनको कैसे दिशा दिखाएँगे बिन पढ़ों

जो मिले उसके संग होती है
जिन्देगानी अज़ीज़ बच्चों की
जैसे पानी का रंग होती है.. जो मिले