शरद पूर्णिमा पर हिन्दी कविता...
पूनम की चांदनी आज खिलेगी,
बरसेंगे अमृत मोती।
रोग-दोष छूमंतर होंगे,
खिलेगी जैसे ज्योति।
सोलह कला समाहित होंगे,
टिम-टिम करेंगे तारे।
जिस पर चंदा करेंगे कृपा,
जन होंगे बड़े निराले।
महक उड़ेगी नभ मंडल तक,
जब लहराएगी चोटी।
रोग-दोष छूमंतर होंगे,
खिलेगी जैसे ज्योति।
भ्रमण करेगी लक्ष्मी माताजी,
स्वागत करेगी रजनी।
धनी पापमुक्त मानव होंगे,
मिट जाएगी कजरी।
पूजा-पाठ सब भक्त करेंगे,
चलती रहेगी रोजी-रोटी।
रोग-दोष छूमंतर होंगे,
खिलेगी जैसे ज्योति।