गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. Poem on Grandfather

मजेदार बाल कविता : दद्दू के दांत

मजेदार बाल कविता : दद्दू के दांत - Poem on Grandfather
Family Poem
एक-एक कर गिर गए सारे,
नहीं बचे दद्दू के दांत।
 
चार गिर गए तीस साल में,
पूड़ी साग चबाने में।
सात गिरे जब भर बारिश में,
फिसले गिरे अहाते में।
एक बार जब गिरे बाइक से,
चार दांत की टूटी पांत।
छह दाढ़ें टूटी रास्ते में,
लगी गाल में जब फुटबाल।
हुईं काल कलवित उतनी हीं,
गिरे नहानी में बेहाल।
बाकी दांत गिने तो पाए,
बचे हुए थे केवल पांच।
ये पांचों भी बिदा ले गए,
बढ़ती हुई उम्र के साथ।
दद्दू रहते फिर भी खुश हैं,
कभी दिखे न हमें उदास।
दूध भात रोटी खाते हैं,
पीते खूब दही और छाछ।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)