गुरुवार, 28 नवंबर 2024
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Written By कृष्ण वल्लभ पौराणिक

नन्ही कविता : हरी-भरी है प्यारी दूब

नन्ही कविता : हरी-भरी है प्यारी दूब - kids poem
हरी-भरी है प्यारी दूब
सबके मन को भाती दूब
आंखों को ठंडाई देती
हमें निकट बुलाती दूब ...1
पैरों नीचे जब यह आती
बड़ी मुलायम लगती दूब
झुक जाती चलते कदमों पर
कदम उठे उठ जाती दूब ...2
 
पानी जब गिरता वर्षा में
धरती पर छा जाती दूब
सुबह-सुबह ओस बूंद से
रोज नहाती दूब ...3
 
कभी घिरे हो सभी और से
नहीं लड़ो सिखलाती दूब
झुककर जीवित रहना सीखें
ऐसा पाठ पढ़ाती दूब ...4