कविता : निंदिया रानी आ जा री
ओ मेरी निंदिया रानी,
चुपके से तू आ जा री।
मीठे सपनों में खो जाऊं,
ऐसी नींद सुला जा री।।1।।
खोकर मैं सपनों में सचमुच,
नीलगगन में उड़ जाऊं।
तारों के संग खेल रचाकर,
अपना रंग जमा जाऊं।।2।।
मेरा ऐसा सपना सलोना,
आकर तू सच कर जा री।
ओ मेरी निंदिया रानी,
चुपके से तू आ जा री।।3।।