बच्चों से मुतअल्लिक़ छोटी-छोटी नज्में
घर में मेहमान आने वाला हैउसके स्वागत की देखो तैयारी जैसे भगवान आने वाला है घर में क्या से आँखों को खोलता भी है तुमने पूछा था पहले दिन मुझसे अब वो तुतला के बोलता भी है क्या येअपने चेहरे को ढाँकता बच्चा उफ वो कितना हसीन लगता हैमाँ के आँचल से झाँकता बच्चा अपने चेहरे कोकितना सुंदर है, कितना प्यारा हैमाँ के हाथों में खेलता बच्चा चाँद के पास जैसे तारा है कितना सुंदर हैसबकी आँखों की रोशनी है तू जब से तू खेलता है बगिया मेंभीनी भीनी सी फैली खुशबू है सबकीअपने नाती का मैं जोड़ा बनकर खेलता हूँ मैं साथ में उसकेकभी बंदर कभी घोड़ा बनकर... अपनेउसका नौकर भी बनना पड़ता हैअपने बच्चे की हँसी के लिए मुझको जोकर भी बनना पड़ता है उसका नौकरज़िंदगी भर का मेरा साथी हैसिर्फ बच्चा नहीं है वो मेरावो बुढ़ापे की मेरे लाठी है ज़िंदगी भरप्यार ही प्यार है या उल्फ़त है खुद पहलवान न घोड़ा बन जाएएक बच्चे में इतनी ताकत है प्यार प्यार
दोस्त बच्चे तुम्हें बना लेंगे आज तुम इनकी देखभाल करोकल बुढ़ापे में ये संभालेंगे दोस्तआकी ज़िंदगी संवारेंगे कश्तियाँ जब पुरानी होंगी तोपार बच्चे ही तो उतारेंगे आपकीज़िंदगी इनकी खूबसूरत है आप दें ध्यान अपने बच्चों परबस यही वक्त की जरूरत हैइससे ज्यादा तो हम नहीं कहतेअपने बच्चों पे ध्यान दें वरनादिन सदा एक से नहीं रहतेपढ़ने वो मेरे पास आते हैंभाईचारे एकता का सबक बच्चे मुझको पढ़ाके जाते हैं ये जो बच्चे...ग़म को इस तरह झेलता हूँ मैं जब ये हद से ज्यादा बढ़ जाएसाथ बच्चों के खेलता हूँ मैं ग़म को...मैंने एक डॉक्टर को देखा हैप्यार करता है पहले बच्चों से फिर मरीज़ों पे ध्यान देता हैबिन पढ़ों को तो हम पढ़ाएँगेपास जिनके हैं डिगरियाँ लेकिनउनको कैसे दिशा दिखाएँगे बिन पढ़ों जो मिले उसके संग होती हैजिन्देगानी अज़ीज़ बच्चों कीजैसे पानी का रंग होती है.. जो मिले