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Written By WD

पानी की बचत

पानी की बचत -
टिंकू खूब नहाता था
पानी व्यर्थ बहाता था।
ट्यूबवेल था जो घर में
पानी दिन भर आता था।

टिंकू के दादा सयाने थे
समाज सेवी जाने-माने थे।
उन्होंने टिंकू को पास बैठाया
प्यार से उसे बहुत समझाया।
वर्षा का जल धरती में
बूँद-बूँद करके इकट्ठा होता है।
सुरक्षित भंडार के रूप में यह
धरती में सोता रहता है।
विज्ञान की उन्नति का
सुखद फल हमनें पाया
ट्यूबवेल के माध्यम से
धरती का जल सतह पर आया
कई वषों में तैयार हुआ
यह जल भंडार नहीं है अनंत
यदि इसे हमनें व्यर्थ बहाया
जल्दी यह हो जाएगा खत्म।
फिर हम न केवल
पीने के पानी को तरस जाएँगे
बल्कि अनाज न पैदा होगा तो
भूखे ही मर जाएँगे।

बात टिंकू की समझ में आ गई
दादाजी की सीख मन को भा गई।
उसने कसम खाई कि अब
वह न सिर्फ जल बचाएगा
बल्कि आज ही जाकर
यह बात दोस्तों को समझाएगा।