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आसमान में उड़ी पतंग
अशोक शास्त्री 'अनंत' आसमान में उड़ी पतंग,बादल से जा जुड़ी पतंग।छोटी-मोटी, बड़ी पतंग,हीरे जैसी बड़ी पतंग।पीले, नीले, लाल, गुलाबी,कितने रंग में रंगी पतंग।नीचे-ऊपर, ऊपर-नीचे,लहरा-लहरा, जमी पतंग।जितनी ढील उसे दी हमने,उतनी सिर पर चढ़ी पतंग।कोई खेंचे, कोई लपेटे,पेंच लड़ाने जुटी पतंग।आकर जो उससे टकराई,हवा-हवा में लड़ी पतंगबच्चों के दिल को बहलाती,कभी डोर से कटी पतंग।हम सबके भी मन को भाती,सात रंगों में रंगी पतंग।