मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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Hanuman Jayanti : हनुमान जी ने लंका में किए थे ये 9 प्रमुख काम

Hanuman Jayanti : हनुमान जी ने लंका में किए थे ये 9  प्रमुख काम - top 9 task of hanuman ji in lanka
हनुमानजी को जब लंका जाना था तब जामवंतजी ने उन्हें उनकी शक्तियों से परिचित कराया और वे फिर वायु मार्ग से लंका के लिए निकले। लंका के मार्ग और लंका में उन्होंने कई पराक्रम भरे कार्य किए। आओ जानते हैं उन्हीं में से 9 प्रमुख कार्य।
 
1. समुद्र लांघना और सुरसा से सामना - हनुमानजी ही जानते थे कि समुद्र को पार करते वक्त बाधाएं आएगी। सबसे पहले समुद्र पार करते समय रास्ते में उनका सामना सुरसा नाम की नागमाता से हुआ जिसने राक्षसी का रूप धारण कर रखा था। सुरसा ने हनुमानजी को रोका और उन्हें खा जाने को कहा। समझाने पर जब वह नहीं मानी, तब हनुमान ने कहा कि अच्छा ठीक है मुझे खा लो। जैसे ही सुरसा उन्हें निगलने के लिए मुंह फैलाने लगी हनुमानजी भी अपने शरीर को बढ़ाने लगे। जैसे-जैसे सुरसा अपना मुंह बढ़ाती जाती, वैसे-वैसे हनुमानजी भी शरीर बढ़ाते जाते। बाद में हनुमान ने अचानक ही अपना शरीर बहुत छोटा कर लिया और सुरसा के मुंह में प्रवेश करके तुरंत ही बाहर निकल आए। हनुमानजी की बुद्धिमानी से सुरसा ने प्रसन्न होकर उनको आशीर्वाद दिया तथा उनकी सफलता की कामना की।
2. राक्षसी माया का वध - समुद्र में एक राक्षसी रहती थी। वह माया करके आकाश में उड़ते हुए पक्षियों को पकड़ लेती थी। आकाश में जो जीव-जंतु उड़ा करते थे, वह जल में उनकी परछाईं देखकर अपनी माया से उनको निगल जाती थी। हनुमानजी ने उसका छल जानकर उसका वध कर दिया।
3. विभीषण से मुलाकात - जब हनुमानजी सीता माता को ढूंढते-ढूंढते विभीषण के महल में चले जाते हैं। विभीषण के महल पर वे राम का चिह्न अंकित देखकर प्रसन्न हो जाते हैं। वहां उनकी मुलाकात विभीषण से होती है। विभीषण उनसे उनका परिचय पूछते हैं और वे खुद को रघुनाथ का भक्त बताते हैं। हनुमानजी जान जाते हैं कि यह काम का व्यक्ति है। वे विभीषण को श्रीराम से मिलाने का वचन दे देते हैं।
4. सीता माता का शोक निवारण - लंका में घुसते ही उनका सामना लंकिनी और अन्य राक्षसों से हुआ जिनका वध करके वे आगे बढ़े। खोज करते हुए वे अशोक वाटिका पहुंच गए। हनुमानजी ने अशोक वाटिका में सीता माता से मुलाकात की और उन्हें राम की अंगूठी देकर उनके शोक का निवारण किया।
5. अशोक वाटिका को उजाड़ना - सीता माता से आज्ञा पाकर हनुमानजी बाग में घुस गए और फल खाने लगे। उन्होंने अशोक वाटिका के बहुत से फल खाए और वृक्षों को तोड़ने लगे। वहां बहुत से राक्षस रखवाले थे। उनमें से कुछ को मार डाला और कुछ ने अपनी जान बचाकर रावण के समक्ष उपस्थित होकर उत्पाती वानर की खबर दी।
6. अक्षय कुमार का वध - फिर रावण ने अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजा। वह असंख्य श्रेष्ठ योद्धाओं को साथ लेकर हनुमानजी को मारने चला। उसे आते देखकर हनुमानजी ने एक वृक्ष हाथ में लेकर ललकारा और उन्होंने अक्षय कुमार सहित सभी को मारकर बड़े जोर से गर्जना की।
7. मेघनाद से युद्ध - पुत्र अक्षय का वध हो गया, यह सुनकर रावण क्रोधित हो उठा और उसने अपने बलवान पुत्र मेघनाद को भेजा। उससे कहा कि उस दुष्ट को मारना नहीं, उसे बांध लाना। उस बंदर को देखा जाए कि कहां का है। हनुमानजी ने देखा कि अबकी बार भयानक योद्धा आया है। मेघनाद तुरंत ही समझ गया कि यह कोई मामूली वानर नहीं है। युद्ध में हनुमानजी मूर्छित हो गए हैं, मेघनाद उनको नागपाश से बांधकर ले गया। रावण क्रोधित होकर कहता है- तूने किस अपराध से राक्षसों को मारा? क्या तुझे मेरी शक्ति और महिमा के बारे में पता नहीं है? तब हनुमानजी राम की महिमा का वर्णन करते हैं और उसे अपनी गलती मानकर राम की शरण में जाने की शिक्षा देते हैं।
8. लंकादहन - राम की महिमा सुनकर रावण क्रोधित होकर कहता है कि जिस पूंछ के बल पर यह बैठा है, उसकी इस पूंछ में आग लगा दी जाए। जब बिना पूंछ का यह बंदर अपने प्रभु के पास जाएगा तो प्रभु भी यहां आने की हिम्मत नहीं करेगा। उन्होंने अपना विशालकाय रूप धारण किया और जोर से हंसते हुए  रावण के महल को जलाने लगे। देखते ही देखते लंका जलने लगी और लंकावासी भयभीत हो गए।एक विभीषण का घर नहीं जलाया। सारी लंका जलाने के बाद वे समुद्र में कूद पड़े और लौट आए।
9. राम को सीता की खबर देना - पूंछ बुझाकर फिर छोटा-सा रूप धारण कर हनुमानजी माता सीता के सामने हाथ जोड़कर जा खड़े हुए और उन्होंने उनकी चूड़ामणि निशानी ली और समुद्र लांघकर वे इस पार आए। हनुमानजी ने राम के समक्ष उपस्थित होकर कहा- नाथ! चलते समय उन्होंने मुझे चूड़ामणि उतारकर दी। श्रीरघुनाथजी ने उसे लेकर हनुमानजी को हृदय से लगा लिया। 
 
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