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श्रीकृष्ण के 56 भोग का राज जानकर अचरज होगा आपको, पढ़ें कथाएं

श्रीकृष्ण के 56 भोग का राज जानकर अचरज होगा आपको, पढ़ें कथाएं - kanha ke 56 bhog ki kahani
भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं जिसे 56 भोग कहा जाता है। बालगोपाल को लगाए जाने वाले इस भोग की बड़ी महिमा है। भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाने वाले 56 भोग के संबंध में कई रोचक कथाएं हैं। 
 
इस कथा के अनुसार माता यशोदा बालकृष्ण को एक दिन में अष्ट पहर भोजन कराती थी अर्थात बालकृष्ण 8 बार भोजन करते थे। एक बार जब इन्द्र के प्रकोप से सारे व्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार 7 दिन तक भगवान ने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया। 
 
8वें दिन जब भगवान ने देखा कि अब इन्द्र की वर्षा बंद हो गई है, तब सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा, तब दिन में 8 पहर भोजन करने वाले बालकृष्ण को लगातार 7 दिन तक भूखा रहना उनके ब्रजवासियों और मैया यशोदा के लिए बड़ा कष्टप्रद हुआ।
 
तब भगवान के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धाभक्ति दिखाते हुए सभी ब्रजवासियों सहित यशोदा माता ने 7 दिन और अष्ट पहर के हिसाब से 7X8=56 व्यंजनों का भोग बालगोपाल को लगाया।
 
56 सखियां हैं 56 भोग
 
एक अन्य मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि गौलोक में भगवान श्रीकृष्ण राधिकाजी के साथ एक दिव्य कमल पर विराजते हैं। उस कमल की 3 परतें होती हैं। इसके तहत प्रथम परत में 8, दूसरी में 16 और तीसरी में 32 पंखुड़ियां होती हैं। इस प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और मध्य में भगवान विराजते हैं, इस तरह कुल पंखुड़ियों की संख्या 56 होती है। यहां 56 संख्या का यही अर्थ है। अत: 56 भोग से भगवान श्रीकृष्ण अपनी सखियों संग तृप्त होते हैं।
 
जब श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए गोपिकाओं ने भेंट किए 56 भोग 
 
एक अन्य श्रीमद्भागवत कथा के अनुसार जब कृष्ण की गोपिकाओं ने उनको पति रूप में पाने के लिए 1 माह तक यमुना में भोर में ही न केवल स्नान किया, अपितु कात्यायिनी मां की पूजा-अर्चना की ताकि उनकी यह मनोकामना पूर्ण हो। तब श्रीकृष्ण ने उनकी मनोकामना पूर्ति की सहमति दे दी। तब व्रत समाप्ति और मनोकामना पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ही उद्यापनस्वरूप गोपिकाओं ने 56 भोग का आयोजन करके भगवान श्रीकृष्ण को भेंट किया।