भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को हुआ था। इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। आइए जानें काम की बातें
कैसी कृष्ण प्रतिमा की पूजा करें -
सामान्यतः जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है।
आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरुप को चाहें स्थापित कर सकते हैं।
प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधाकृष्ण की, संतान के लिए बाल रूप की और सभी मनोकामनाओं के लिए बांसुरी वाले कृष्ण की स्थापना करें।
- इस दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी कर सकते हैं...
श्रृंगार कैसा करें?
- श्री कृष्ण के श्रृंगार में फूलों का विशेष महत्व है।
- अतः विविध प्रकार फूलों की व्यवस्था करें, पारिजात और वैजयंती के फूल मिल जाए तो सबसे ज्यादा उत्तम होगा।
- पीले रंग के वस्त्र, गोपी चंदन और चंदन की सुगंध की व्यवस्था भी करें।
- कृष्ण जन्म के बाद उनको झूले में बैठाकर झुलाया जाता है, अतः खूबसूरत से झूले की व्यवस्था भी करें।
- बांसुरी, मोरपंख, आभूषण, मुकुट, पूजन सामग्री, सजावटी सामग्री सब एकत्र करें।
भोग क्या लगाएं?
- पंचामृत जरूर बनाएं, उसमे तुलसी दल डालें
- मेवा,माखन और मिश्री लेकर आएं।
- धनिये की पंजीरी भी रखें।
- सामर्थ्य अनुसार 56 भोग लगा सकते हैं।
जन्माष्टमी के दिन क्या करें
- प्रातःकाल स्नान करके व्रत या पूजा का संकल्प लें
- दिन भर जलाहार या फलाहार ग्रहण करें, सात्विक रहें।
- दिन भर भगवान के स्थान की सज्जा करें।
- मुख्य द्वार पर वंदनवार जरूर लगाएं।
- मध्यरात्रि के भोग और जन्मोत्सव के लिए व्यवस्था करें।
- आप व्रत रखें या न रखें, घर में सात्विक आहार का ही प्रयोग करें।