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Written By ND

नईदुनिया आए थे आचार्य महाप्रज्ञ

नईदुनिया आए थे आचार्य महाप्रज्ञ -
ND
आचार्य महाप्रज्ञजी अहिंसा यात्रा के दौरान 'नईदुनिया' परिसर भी आए थे। 2 अप्रैल 2004 को वे नईदुनिया आए और मंगल पाठ कर आशीर्वाद भी दिया। इस दौरान आचार्यश्री ने कहा था :

- आज क्या हो रहा है? धार्मिकों की संख्या पूरे विश्व में करीब 6 अरब है परंतु नैतिक मूल्यों में विश्वास रखने वालों की संख्या 6 करोड़ भी मिल जाए तो भाग्य मानता हूँ।

- धर्म की खोज उन व्यक्तियों ने की जिन्होंने अपना अतीन्द्रिय ज्ञान विकसित किया, इंट्यूशन पावर बढ़ाया। विज्ञान की खोज वैज्ञानिक उपकरणों से हुई है। दोनों सूक्ष्म हैं। स्थूल से यह काम नहीं हो सकता।

- हमें भेद करना होगा धार्मिक और धर्म के अनुयायी में। आज जैन कुल में जन्मा, जैनी हो गया। उसे हम धार्मिक नहीं कहेंगे। वह धर्म का अनुयायी हो गया। वैष्णव, इस्लाम, ईसाई- जिस कुल में जन्मा, उसका अनुयायी हो गया। जिस घर में जन्म लेता है, उसका खाता खुल जाता है। वह अनुयायी है। धार्मिक तो व्यक्ति स्वयं बनता है, अनुयायी पैतृक होता है।