हाईटेक हुआ बचपन
गेमिंग में डूबते बच्चे
घंटे दर घंटे बदल रही टेक्नोलाइफ में बड़ो के जीने के तरीकों के साथ-साथ बच्चों के खेलने के तरीकों में भी तेजी से बदलाव देखा जा सकता है। आजकल के बच्चे बाजार में हर रोज आ रही नई तकनीक के प्रति जितने जल्दी आकर्षित होते हैं उतने ही जल्दी वो उसे सीखकर उसे अपने डेली रूटीन का हिस्सा बना लेते हैं।
खिलौनों की आकृतियाँ तो वहीं रही लेकिन उन्हें बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले चीजें बदलती रही। मिट्टी से शुरू हुआ यह सिलसिला प्लास्टिक, फाइबर, लकड़ी और रबर से होते हुए आज इलेक्टॉनिक मटेरियल तक पहुँच चुका है। इन सभी बदलावों का प्रभाव किसी और नहीं बल्कि जिनके लिए यह बनाए जा रहे हैं उन्हीं पर पड़ रहा है। खिलौने अब सिर्फ जमीन पर ही नहीं चलते बल्कि अब वे कंप्यूटर और मोबाइल में भी आपके इशारे पर कठपुतलियों की तरह नाचते भी हैं।आधुनिक युग में तेजी से हो रहे बदलाव ने हर जगह अपना प्रभाव दिखाया। कॉपी-किताब की जगह कंप्यूटर ने ली, वहीं खिलौनों में भी चमत्कारी परिवर्तन हुए। शुरूआती दौर के मिट्टी से बने खिलौनों की जगह आज गैजेट्स ने ले ली है। गेमिंग की लतकंप्यूटर गेम्स का बच्चों पर पॉजिटिव और नेगेटिव दोनो तरह का प्रभाव पड़ता है इसलिए पेरेंट्स को चाहिए कि वो बच्चों की उम्र के मुताबिक उन्हें वडियो गेम्स लाकर दें। ऐसा नहीं है कि कंप्यूटर गेम्स से सिर्फ नुकसान ही नुकसान है। इसके फायदे भी हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि वीडियो गेम्स या पी.सी. गेम्स बच्चों में कॉन्सट्रेशन, उनके आई क्यू लेवल और उनकी विल पावर को बढ़ाते हैं। साथ ही वे हाथ और आँखों के बीच तालमेल बैठाना भी उन्हें सिखाते हैं। वीडियो गेम्स से बच्चों की रीजनिंग केपेसिटी भी बढ़ती है। आईटी के प्रति रुझान बढ़ाने में भी वीडियो गेम मदद करते हैं। एक सीमा तक इन गेम्स को खेलने में कोई नुकसान नहीं है बल्कि ये भी एक प्रकार का मानसिक व्यायाम ही है।
बच्चे गेम्स के शौकीन होते हैं लेकिन शौक अगर आदत या लत में तब्दील हो जाए तो इसके सकारात्मक पहलुओं पर नकारात्मक प्रभाव हावी हो जाते हैं। कई बार जरूरत से ज्यादा पी.सी. गेम्स खेलने से बच्चों के माइंड पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इनसे न सिर्फ बच्चों में एग्रेसिव बिहेवियर आ सकता है। खासतौर से हिसंक पी.सी. गेम्स खेलने से बच्चे का व्यवहार बहुत अधिक आक्रामक हो सकता है। एक बार सर्वेक्षण में शामिल किए गए बच्चों से वीडियो व पी.सी. गेम्स खेलने का कारण पूछा गया तो कई बच्चों ने माना कि उन्हें काफी मजा आता है। इसके अलावा कुछ कारण थे - सब कुछ अपने नियंत्रण में रखने की आजादी होती है, तनाव से राहत मिलती है, बोरियत दूर होती है, विल पावर, शक्तिशाली होने का अहसास होता है आदि। यदि आपके घर में बच्चे वीडियो गेम खेलते हैं तो इन दिशा निर्देशों का पालन जरूर करें - 1.
ऐसे वीडियो गेम ना खरीदे जिसमें बहुत ज्यादा हिंसा या खून-खराबा दिखाया गया हो। 2.
बहुत ज्यादा स्पेशल इफेक्ट वाले गेम्स न खरीदें। 3.
ऐसे गेम्स न खरीदें जिनमें चटक रंगों का बहुत ज्यादा उपयोग किया गया हो। इससे बच्चों की आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 4.
बच्चे का वीडियो गेम खेलने का समय तय रखें, उससे ज्यादा बच्चे को वीडियो गेम्स खेलने दें।5.
बच्चे के वीडियोगेम खेलने के शौक को लत न बनने दें, उसे दूसरी एक्टिविटीज जैसे आउटडोर गेम्स, डांस, स्विमिंग आदि की तरफ भी आकर्षित करें।