'सादा जीवन उच्च विचार' - हजरत मोहम्मद
हजरत मोहम्मद और सच्ची बेटी की कहानी
हजरत मोहम्मद अपनी बेटी फातिमा को बहुत प्यार करते थे। उसके बिना उनका दिन कटना भी मुश्किल होता था, क्योंकि वह भी अपने पिता को बहुत चाहती थी।
एक दिन वे अपनी बेटी फातिमा से मिलने उसके घर गए। वहां जाकर उन्होंने देखा कि उनकी तो बेटी ने अपने हाथों में चांदी के मोटे-मोटे कंगन पहन रखे हैं और दरवाजों पर रेशमी परदे लहरा रहे हैं। इतना ही नहीं, अपनी बेटी के घर में उन्होंने हर तरह की विलासिता की वस्तु देखी।
यह सब देखकर उन्हें इतना बुरा लगा कि वे बिना कुछ बोले उल्टे पांव वापस चले गए और मस्जिद में जाकर पश्चाताप करने लगे। जब फातिमा को पता चला कि उसके पिता उल्टे पांव वापस चले गए तो वह चिंतित हो उठी। फातिमा की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसने अपने लड़के को दौड़ाया कि वह देखकर आए कि उसके नाना घर आकर एकाएक वापस क्यों चले गए? लड़के ने माता का आदेश पाकर जब वह अपने नाना के पास पहुंचा तो देखा कि उसके नाना मस्जिद में बैठकर विलाप कर रहे हैं।