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Written By भाषा
Last Modified: इस्लामाबाद , बुधवार, 2 जुलाई 2014 (21:48 IST)

पाकिस्तान में नया कानून, सुरक्षाबल देखते ही मार देंगे गोली

पाकिस्तान सरकार
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान की संसद ने बुधवार को एक विवादास्पद विधेयक पारित कर दिया जिसमें सुरक्षाबलों को आतंकवाद, आगजनी, हत्या और स्वास्थ्य अधिकारियों पर हमलों में संलिप्त संदिग्धों को देखते गोली मारने का अधिकार दिया गया है।

'पाकिस्तान संरक्षण विधेयक 2014' के पारित होने के बाद अब ग्रेड 15 (गैर राजपत्रित) कनिष्ठ अधिकारी (जेसीओ) और इससे ऊपर के ओहदे के अधिकारियों को ऐसे आदेश देने का अधिकार मिल गया है।

यह किसी संदिग्ध को न्यायिक हिरासत में लिए जाने के बाद उसे 60 दिनों की अवधि के लिए हिरासत में रखने की इजाजत देता है। अधिनियम के तहत सुरक्षाबल किसी न्यायिक अधिकारी से वारंट हासिल किए बगैर तलाशी कर सकता है।

मानवाधिकार संगठनों की आशंकाओं को शांत करने के लिए यह हिरासत केंद्र को अदालतों की निगरानी में रखने और इसके दायरे में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किसी की हत्या किए जाने पर न्यायिक जांच का प्रावधान करता है।

इसकी एक अन्य विशेषता चरमपंथ में दोषी ठहराए जाने वाले को कम से कम 20 साल की कैद की सजा है। यह अधिनियम दो साल तक प्रभावी रहेगा। मसौदा विधेयक को निचले सदन नेशनल असेंबली में पेश किया गया। इससे पहले सोमवार को इसे ऊपरी सदन सीनेट में मंजूरी मिल गई थी।

गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान की ओर से निचले सदन में यह विधेयक पेश करने वाले विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जाहिद हमीद ने बताया कि उत्तर वजीरिस्तान में सैन्य अभियान के चलते विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर यह विधेयक बहुत महत्वपूर्ण है।

हालांकि पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों और विपक्ष ने इस विधेयक की यह कहते हुए आलोचना की है कि यह सुरक्षा एजेंसियों को निरंकुश शक्तियां देता है।

दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के कुछ प्रावधानों का उल्लंघन करता है। क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

मसौदा विधेयक में विपक्ष द्वारा पेश किए एक दर्जन से अधिक संशोधनों को सरकार के स्वीकार कर लेने के बाद नेशनल असेंबली में यह मतदान हुआ। (भाषा)