• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Who is Muhammad Yunus in Bangladesh
Last Updated : बुधवार, 7 अगस्त 2024 (14:08 IST)

गरीबों के बैंकर, हसीना के दुश्‍मन, मोहम्मद यूनुस ने ठुकराया था पीएम पद, अब होंगे चीफ एडवाइजर?

Muhammad Yunus
  • मोहम्‍मद युनूस को बांग्‍लादेश में कहा जाता है गरीबों के बैंकर
  • 17 साल पहले ठुकराया था पीएम पद का ऑफर
  • 6 महीने जेल की सजा काटी, शेख हसीना के कट्टर दुश्‍मन हैं
  • कौन हैं मोहम्‍मद युनूस, अब बनेंगे बांग्‍लादेश के चीफ एडवाइजर
Bangladesh Political Crisis: बांग्‍लादेश में पॉलिटिकल क्राइसिस, प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्‍तीफा और तख्‍तापलट के बाद वहां अंतरिम सरकार बनाई जा रही है। जब तक स्‍थाई सरकार न बन जाए तब तक ये अस्‍थाई सरकार देश को संभालेगी। इस अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद युनूस (Who is Muhammad Yunus) होंगे। मोहम्‍मद युनूस एक नोबल पुरस्‍कार विजेता हैं, उन्‍होंने ये जिम्मेदार स्वीकार कर ली है। बता दें कि करीब 17 साल पहले उन्‍हें बांग्‍लादेश का पीएम पद ऑफर किया गया था, लेकिन उन्‍होंने इसे ठुकरा दिया था।
बता दें कि किसी समय में मोहम्‍मद युनूस बांग्‍लादेश के संस्‍थापक मुजीबुर्रहमान के समर्थक रहे हैं, लेकिन उनकी बेटी शेख हसीना के आलोचक और कट्टर दुश्‍मन हो गए।

काटी 6 महीने जेल की सजा : अर्थशास्त्र के धाकड़ जानकार युनूस ने टेनेसी में पढ़ाने के दौरान बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अखबार लॉन्च किया था। उसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया था जिसके बाद शेख हसीना से उनके संबंध बिगड़े। जो शेख हसीना उनकी तारीफ किया करती थीं उनसे ही युनूस की अदावत शुरू हो गई थी। इसका हासिल ये हुआ कि यूनुस पर 100 से अधिक केस दर्ज हुए थे और उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट ने 6 महीने जेल की सजा सुनाई थी।

हसीना कैसे हो गई कट्टर दुश्‍मन : मोहम्मद यूनुस जो शेख मुजीबुर्रहमान के कट्टर समर्थक थे, उन्हें बेटी शेख हसीना ने अपना दुश्मन बना लिया। युनूस का मानना था कि शेख हसीना लोकतंत्र की कातिल हैं और भारत की शह पर तानाशाह बनकर बांग्लादेश की सत्ता को जबरदस्ती हथिया लिया है। उनकी इसी सोच और अपनी नई पार्टी के गठन के बाद हसीना और युनूस के बीच की दुश्मनी बढ़ती चली गई और वे नेताओं की आंखों में भी खटकने लगे थे। शेख हसीना को यूनुस से खुद के लिए राजनीति का खतरा महसूस होने लगा।
क्‍यों कहा जाता है गरीबों के बैंकर : मोहम्‍मद यूनुस को गरीबों का बैंकर भी कहा जाता है। दरअसल उन्‍होंने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना उन उद्यमियों को छोटे ऋण प्रदान करने के लिए की थी जो आमतौर पर ऋण लेने के योग्‍य नहीं होते हैं। लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में बैंक की सफलता ने अन्य देशों में भी इसी तरह के सूक्ष्म वित्तपोषण के प्रयासों को जन्म दिया। 2004 में एसोसिएटेड प्रेस को दिए एक साक्षात्कार में यूनुस ने कहा कि ग्रामीण बैंक की स्थापना के लिए उन्हें तब प्रेरणा मिली, जब उनकी मुलाकात बांस की कलाकृति बुनने वाली एक गरीब महिला से हुई। वह अपना कर्ज चुकाने के लिए संघर्ष कर रही थी। यूनुस ने साक्षात्कार में बताया, "मैं समझ नहीं पा रहा था कि जब वह इतनी खूबसूरत चीजें बना रही थी तो वह इतनी गरीब कैसे हो सकती है।"

कौन है मोहम्मद यूनुस : मोहम्मद यूनुस का जन्म साल 1940 में बांग्लादेश के चटगांव शहर में हुआ था। यूनुस ने अपनी शिक्षा बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय से हासिल की। इसके बाद उन्हें वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की पढ़ाई दौरान छात्रवृत्ति मिली। इसके बाद साल 1969 में उन्होंने पीएचडी में अपनी डिग्री हासिल की इसके बाद मिडिल टेनेसी स्टेट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर बन गए।

मोहम्मद यूनुस की उम्र 84 साल है। साल 2006 में यूनुस को गरीब लोगों की मदद को लेकर विशेषकर महिलाओं की मदद के लिए माइक्रोक्रेडिट में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। यूनुस ने कई ग्रामीण बैंको की स्थापना भी की। इसी अवसर पर उन्हें पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। यूनुस के खिलाफ 150 से ज्यादा मामले हैं, जिनमें प्रमुख भ्रष्टाचार के आरोप भी शामिल हैं। इन मामलों में दोषी पाए जाने पर उन्हें सालों तक जेल में भी रहना पड़ा है।
नोबेल पुरस्कार वेबसाइट के अनुसार यूनुस महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समूह के सदस्य थे, जिस पद पर उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासचिव की तरफ से नियुक्त किया गया था। उन्होंने महिला स्वास्थ्य, सतत आर्थिक विकास के लिए सलाहकार परिषद और महिलाओं और वित्त पर संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ समूह में काम किया है।
नोबेल पुरस्कार विजेता हैं मोहम्मद युनूस : अंतरिम सरकार की कमान संभालने की खबर सामने आने के बाद मोहम्मद यूनुस की पूरी दुनिया में उनकी चर्चा हो रही है। वैसे बांग्लादेश और पूरी दुनिया के लिए मोहम्मद यूनुस कोई अनजान शख्स नहीं हैं। वे नोबेल पुरस्कार विजेता हैं जिन्हें गरीबी मिटाने के सिद्धांत के लिए ये पुरस्कार दिया गया है।
Edited by Navin Rangiyal