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Last Modified: काठमांडू , मंगलवार, 17 मई 2016 (07:55 IST)

प्रचंड को महंगी पड़ी न्यायपालिका पर टिप्पणी

प्रचंड को महंगी पड़ी न्यायपालिका पर टिप्पणी - Prachand
काठमांडू। नेपाल के यूसीपीएन-माओवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रचंड के खिलाफ अदालत की अवमानना का आरोप लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया गया है। एक दशक तक चले संघर्ष के दौरान मामलों पर फैसलों को लेकर न्यायपालिका की आलोचना के लिए यह मुकदमा दायर किया गया है।
 
वकील दिनेश त्रिपाठी ने सर्वोच्च न्यायालय में अदालत की अवमानना का मामला दायर करते हुए न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को एक साल की जेल की सजा देने और उनपर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाने की मांग की।
 
61 साल के प्रचंड ने कथित रूप से न्यायपालिका पर शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साजिश रचने का आरोप लगाया था क्योंकि न्यायपालिका संघषर्काल के मामलों पर फैसले दे रही थी हालांकि वे हाल में गठित सत्य एवं सुलह आयोग के न्यायक्षेत्र में आ रहे थे।
 
प्रचंड ने हाल में यहां एक कार्यक्रम में कहा था कि माओवादी दल इस तरह के फैसले स्वीकार नहीं करेगा।
 
त्रिपाठी ने अपनी याचिका में प्रचंड के बयानों को लेकर सबूत के तौर पर दो राष्ट्रीय दैनिकों में छपी खबरों का हवाला दिया। (भाषा)
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