पाकिस्तान को 'आत्ममंथन' की जरूरत
इस्लामाबाद। दक्षेस सम्मेलन के रद्द होने के बाद पाकिस्तानी और कई विदेशी समाचार पत्रों ने पाकिस्तान को अपनी छवि 'बदलने की तत्काल जरूरत' बताई है और सरकार से कहा है कि वह 'तत्काल आत्मविश्लेषण' करने के साथ ही एक 'प्रभावी' विदेश नीति विकसित करे जिससे देश की छवि को आतंकवाद एवं असहिष्णुता से मुक्त किया जा सके।
भारत और 4 अन्य देशों के इस्लामाबाद में नवंबर में होने वाले दक्षेस सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना करने के बाद समाचार पत्र ‘द डेली टाइम्स' ने एक संपादकीय में लिखा, 'यह समय पाकिस्तान के लिए आत्मविश्लेषण करने और यह तय करने का होना चाहिए कि वह स्वयं को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष किस तरह से प्रभावी तौर पर पेश कर सकता है।'
संपादकीय में लिखा है, 'जब सवाल वैश्विक मंच का आता है, धारणा काफी मायने रखती है और दुर्भाग्य से पाकिस्तान की आतंकवाद एवं असहिष्णुता से ग्रस्त देश के तौर पर उसकी छवि के चलते उसकी अपीलों का अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर कोई प्रभाव नहीं होता।'
यह संपादकीय ऐसे समय आया है, जब उड़ी में गत 18 सितंबर को सेना के शिविर पर पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले के बाद भारत के साथ तनाव बढ़ा हुआ है। इस हमले में 19 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। हमले के जवाब में भारत ने कहा कि उसने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए लक्षित हमला किया।
भारत ने सैन्य कार्रवाई के साथ ही पाकिस्तान को 'अलग-थलग' करने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए। भारत, बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान और श्रीलंका ने 9-10 नवंबर को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में होने वाले 19वें दक्षेस सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना कर दिया।
संपादकीय में लिखा है, 'दक्षेस के 5 देशों के इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेने से इंकार करने से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक गलत संकेत गया है। इस परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान को एक प्रभावी विदेश नीति की जरूरत है और इसके लिए उसे एक पूर्णकालिक विदेश मंत्री चाहिए, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारतीय लॉबिंग का जवाब दे सके और विश्व के समक्ष पाकिस्तान का पक्ष रख सके।'