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Last Updated : मंगलवार, 19 सितम्बर 2017 (11:51 IST)

रोहिंग्या मुसलमानों पर सू की ने ‍किया यह बड़ा ऐलान...

रोहिंग्या मुसलमानों पर सू की ने ‍किया यह बड़ा ऐलान... - myanmar rohingya muslims
नेपीताव। म्यांमार की नेता आंग सान सू की ने शरणार्थी संकट पर समर्थन के लिए वैश्विक समुदाय से मंगलवार को अपील की कि वह धार्मिक और जातीय आधार पर उनके देश को एकजुट करने में मदद करे। उन्होंने सेना के अभियानों के कारण देश छोड़कर भागने को मजबूर हुए कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस आने का प्रस्ताव भी दिया।
 
रखाइन प्रांत में साम्प्रदायिक हिंसा के कारण 25 अगस्त से लेकर अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं और म्यांमार से 410,000 से ज्यादा रोहिंग्या अल्पसंख्यक बांग्लादेश भाग चुके हैं।
 
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सू की की बेघर कर दिए गए रोहिंग्या समुदाय के मामले में सार्वजनिक तौर पर वक्तव्य ना देने या सेना से संयम बरतने की अपील ना करने को लेकर व्यापक निंदा हुई है।
 
टेलीविजन पर आज प्रसारित किए गए 30 मिनट के भाषण में उन्होंने कहा, 'नफरत और डर हमारी दुनिया की मुख्य परेशानियां है। हम म्यांमार को ऐसा देश नहीं बनाना चाहते जिसे धार्मिक आस्था या जातीयता के आधार पर बांटा जाए। हम सभी को हमारी भिन्न भिन्न पहचान को बनाए रखने का अधिकार है।
 
हिंसा से विस्थापित हुए सभी समूहों के प्रति दुख जताते हुए उन्होंने कहा कि उनका देश सत्यापन प्रक्रिया के जरिए किसी भी समय शरणार्थियों को वापस बुलाने के लिए तैयार है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि म्यांमार से भागे 410,000 रोहिंग्या में से कितने लोग वापस आने के योग्य हैं। म्यांमार की सेना ने कहा है कि वह आतंकवादियों से जुड़े लोगों को वापस नहीं आने देगी।
 
बहरहाल, म्यांमार में कुछ सूत्रों ने यह भी कहा कि सेना पर 72 वर्षीय सू की की पकड़ नहीं है। सू की सेना के साथ सत्ता के बंटवारे की व्यवस्था को तैयार नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कथित हत्या और आगजनी के अभियान को लेकर म्यांमार की सेना पर जातीय सफाए का आरोप लगाया है।
 
सेना ने इस बात से इनकार किया है कि उसके अभियान अगस्त में हुए रोहिंग्या आतंकवादियों के हमलों के जवाब में है। सेना रोहिंग्या विद्रोहियों को चरमपंथी बंगाली आतंकवादी बताती हैं।
 
तब से लेकर अब तक रखाइन की आधी रोहिंग्या आबादी बांग्लादेश भाग चुकी है जहां अब वे दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविरों में से एक में रह रहे हैं। हिंदूओं के साथ-साथ करीब 30,000 मूलनिवासी रखाइन बौद्ध भी हिंसा के कारण विस्थापित हुए हैं।
 
सू की अपने देश में चल रहे इस संकट को सुलझाने के लिए न्यूयॉर्क में इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी नहीं गई और उन्होंने टेलीविजन पर अपना संबोधन दिया।
 
म्यांमार को मिला चीन का समर्थन : चीन ने देश के सुरक्षा हितों के संरक्षण की कोशिशों और राखिने प्रांत में हाल में हुई हिंसक घटनाओं के खिलाफ म्यांमार की कार्रवाई को समर्थन किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि विदेश मंत्री वांग यी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को संयुक्त राष्ट्र में आयोजित एक बैठक के दौरान कहा कि म्यांमार ने अपने देश की सुरक्षा के लिए जो भी कदम उठाया है, चीन उसका समर्थन करता है।
 
क्या है पूरा मामला: पश्चिमी म्यांमार के राखिने प्रांत में गत 25 अगस्त को रोहिंग्या विद्रोहियों के पुलिस चौकियों तथा सेना के शिविरों पर हमले करने के बाद से उनके खिलाफ शुरू हुई हिंसक कार्रवाई अब भी जारी है। इन हमलों में करीब 12 लोगों की मौत हुई थी। हिंसक कार्रवाई के कारण म्यांमार से अब तक चार लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं।