-शोभना जैन
ब्रिस्बेन। जी-20 देशों ने रविवार को कालेधन और करचोरी पर भारत की चिंताओं को साझा करते हुए दूरगामी परिणाम वाला एक अहम कदम उठाते हुए शिखर बैठक के समापन पर जारी एक दस्तावेज में इन मुद्दों को शामिल कर भारत के पक्ष का समर्थन किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने रविवार को इस आशय का ट्वीट करके कहा कि बैठक में इस मसले पर प्रधानमंत्री के जोरदार हस्तक्षेप के बाद सम्मेलन के बाद जारी की जाने वाली विज्ञप्ति में कर संबंधी मामलों में पारदर्शिता बरते जाने की बात शामिल करके भारत के पक्ष का समर्थन किया गया है।
सूत्रों के अनुसार इस मुहिम में प्रधानमंत्री ने सूचनाओं के आदान-प्रदान की ऑटोमेटिक प्रक्रिया का समर्थन किया और कहा कि यह कालेधन के संबंध में सूचना दिलाने और इसे स्वदेश लाने में मददगार साबित होगा।
विदेश नीति के विशलेषक जी-20 के इस कदम को कालेधन के खिलाफ विश्वव्यापी अभियान के साथ-साथ भारत के कालेधन के खिलाफ अभियान के लिए बड़ी सफलता मान रहे हैं।
दो दिवसीय शिखर बैठक रविवार को संपन्न हो गई। इसमें भारत के अलावा अमेरिका, रूस, इंग्लैंड और चीन सहित दुनिया के शीर्ष विकसित तथा विकासशील देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया।
इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में रविवार को सदस्य राष्ट्रों से कालेधन की चुनौतियां सहित आतंकवाद, मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी को खत्म करने के लिए साथ मिलकर काम करने का आग्रह करते हुए कालेधन को वापस लाने के संबंध में एक मजबूत आधार तैयार किया।
जी-20 सम्मेलन के समापन दिवस पर रविवार को प्रधानमंत्री ने करचोरी के मुद्दे पर विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से मिल-जुलकर नीति तैयार करने का आग्रह किया और कहा कि यह न सिर्फ कालेधन की चुनौती के लिए, बल्कि सुरक्षा से संबंधित मुद्दों, मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी रोकने के लिए भी बेहद आवश्यक है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार- प्रधानमंत्री ने कहा कि हालांकि सभी देशों की अपनी घरेलू प्राथमिकताएं हैं, लेकिन निश्चय ही सहयोग का यह फैसला दीर्घ अवधि के लिए हमारी मदद करेगा। वैश्विक वित्तीय प्रणाली का लचीला रुख साइबर सुरक्षा पर भी निर्भर करेगा।
बयान के मुताबिक, उन्होंने ऑटोमेटिक सूचना के आदान-प्रदान के वैश्विक मानक का समर्थन किया, जो कि विदेशों में छुपाए गए कालेधन के संबंध में सूचना इकट्ठी करने में मददगार साबित होगा और अंतत: इस धन को स्वदेश वापस लाने में सभी देशों को सक्षम बनाएगा। उन्होंने कहा कि वे कर नीति एवं प्रशासन में सूचना एवं आपसी सहयोग के लिए हर प्रकार की पहल का समर्थन करते हैं।
सूत्रों का मानना है कि जी-20 देशों की सरकारें व इस्लामिक देश आतंकवादी संगठनों को अवैध रूप से धन मुहैया कराने वाले व्यक्ति और कंपनी की पहचान का खुलासा करने के लिए उच्च मानक पेश करने वाली योजना का समर्थन करेंगी जिससे इन आतंकवादी संगठनों पर रोक लगाई जा सकेगी।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक ट्वीट के अनुसार, जी-20 शिखर सम्मेलन में 'वैश्विक स्तर पर लचीली अर्थव्यवस्था के निर्माण' विषय पर आयोजित सत्र में मोदी ने कहा कि आपसी सहयोग न सिर्फ कालेधन की चुनौती के लिए बल्कि सुरक्षा से संबंधित मुद्दों, मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी रोकने के लिए भी बेहद आवश्यक है।
इससे पूर्व मोदी ने कहा कि मैं हर अधिकार क्षेत्र, विशेषकर जहां कर बेहद कम हैं, सबसे यह आग्रह करता हूं कि समझौते के दायित्वों का पालन करते हुए कर के उद्देश्यों के बारे में जानकारियां उपलब्ध कराएं।
गौरतलब है कि सम्मेलन में शनिवार को भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेश में छुपाए गए कालेधन को वापस लाने को अपनी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताते हुए विदेशों में जमा कालेधन को सुरक्षा चुनौतियों से भी जुड़ा मसला बताया था तथा कालेधन को वापस लाने के लिए सभी देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग करने की पुरजोर अपील की थी।
प्रधानमंत्री ने शिखर बैठक से पूर्व शनिवार को यहां 'ब्रिक्स' के शीर्ष नेताओं के साथ एक अहम बैठक में कालेधन का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए घनिष्ठ सहयोग करना हमारी पहली प्राथमिकता है।
विदेशों में जमा कालाधन सुरक्षा चुनौतियों से भी जुड़ा मसला है। उन्होंने ब्रिक्स देशों के नेताओं से इसमें सहयोग करने पर जोर दिया। शिखर बैठक के समापन पर जारी दस्तावेज में खाद्य सुरक्षा के प्रावधानों को लेकर भारत तथा अमेरिका के बीच डब्ल्यूटीओ संबंधी सहमति का भी स्वागत किया गया।
इसी बीच जी-20 सम्मेलन में हिस्सा ले रहे दुनिया के शीर्ष नेताओं से मोदी की द्विपक्षीय मुलाकातों का सिलसिला रविवार को भी जारी रहा। ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ ने मोदी के इस स्वागत पर अपने आर्टिकल में लिखा है कि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी जी-20 की सबसे मशहूर हस्तियों में से हैं। वे एक ऐसा नेता हैं जिन्हें हर कोई देखना चाहता है।
इस शिखर बैठक में मेजबान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टॉनी एबॉट, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन, फ्रांस के राष्ट्रपति होलां, चीनी प्रधानमंत्री शी जिनपिंग, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ सहित दुनिया के अनेक शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को यहां जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से मुलाकात की और इस दौरान मर्केल ने कहा कि उनका देश द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ बनाने के साथ ही मोदी की यात्रा की राह देख रहा है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन द्वारा जारी ट्वीट के अनुसार, मर्केल ने मुलाकात में मोदी से कहा कि हमारे संबंध मजबूत हो रहे हैं। हम आपके जर्मनी दौरे के लिए प्रतीक्षारत हैं। प्रधानमंत्री ने रविवार को सऊदी अरब के शहजादे शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज अल से भी मुलाकात की।
जी-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन का सत्र शरू होने से पहले मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। विदेश मंत्रालय से जारी ट्वीट के मुताबिक, मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के साथ भी मुलाकात की। (वीएनआई)