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Last Modified: शनिवार, 21 मई 2022 (23:07 IST)

नींद पूरी न होने से डिमेंशिया का खतरा, शोध में हुआ खुलासा...

नींद पूरी न होने से डिमेंशिया का खतरा, शोध में हुआ खुलासा... - Dementia risk due to lack of sleep
सिडनी। हमारे मस्तिष्क की सेहत में नींद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तमाम साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि यदि नींद ठीक से पूरी नहीं हुई तो डिमेंशिया (पागलपन) विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

शोधकर्ता कैमिलो का कहना है कि उन्होंने और सिडनी विश्वविद्यालय के सहयोगियों ने एक नया अध्ययन प्रकाशित किया है जो प्रदर्शित करता है कि चूंकि डिमेंशिया का फिलहाल कोई उपचार या इलाज नहीं है, इसलिए ऐसी स्थिति में इसे बढ़ने देने से रोकने को लेकर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

हल्की संज्ञानात्मक दुर्बलता (माइल्ड कॉग्निटिव इम्पेयर्मेंट) सामान्य उम्र बढ़ने की अपेक्षित संज्ञानात्मक गिरावट और डिमेंशिया के कारण अधिक गंभीर गिरावट के बीच की अवस्था है।

हल्की संज्ञानात्मक दुर्बलता की स्थिति में व्यक्ति, परिवार और मित्र संज्ञानात्मक परिवर्तन महसूस करते हैं, लेकिन व्यक्ति वैसी स्थिति में भी रोज़मर्रा की गतिविधियां सफलतापूर्वक कर सकता है। हालांकि यह ऐसी स्थिति है जो आने वाले समय में डिमेंशिया का रूप लेने के खतरे का संकेत देती है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि हल्की संज्ञानात्मक दुर्बलता की स्थिति भविष्य में डिमेंशिया का खतरा बढ़ने से रोकने के लिए हस्तक्षेप का उचित वक्त होती है। इसलिए हल्की संज्ञानात्मक असमर्थता की रफ्तार पर रोक लगाना महत्वपूर्ण है।

हमारे मस्तिष्क की सेहत के लिए नींद कैसे महत्वपूर्ण है?
नींद हमारे दिमाग में गई नई सूचनाओं और यादों को स्थिर और समेकित करने की क्षमता को बढ़ाती है। ये प्रक्रियाएं नींद के सभी विभिन्न चरणों में हो सकती हैं, जिसमें गहरी नींद (जिसे स्टेज 3 या रिस्टोरेटिव स्लीप भी कहा जाता है) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

स्लीप एपनिया क्या है?
नींद में खर्राटे की बीमारी द्वारा दुनियाभर में एक अरब लोगों के प्रभावित होने का अनुमान है। ऑस्ट्रेलिया में 5-10 प्रतिशत वयस्कों में इस स्थिति का निदान किया जाता है। स्लीप एपनिया के कारण ऊपरी वायुमार्ग नींद के दौरान या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से बंद हो जाता है।

इस तरह का अवरोध 10 सेकंड से लेकर एक मिनट तक हो सकता है और इसके कारण रक्त में ऑक्सीजन का स्तर गिर सकता है। गंभीर स्लीप एपनिया वाले व्यक्ति में यह प्रक्रिया एक घंटे में 30 बार या उससे अधिक बार हो सकती है, जिससे बहुत खंडित नींद आती है।

नींद में इस तरह की बाधा के कारण उनींद की शिकायत हो सकती है और दिन के दौरान चौकसी में कमी हो सकती है, जिसके कारण कई लोगों में अपना कार्य पूरा करने में कठिनाई होती है।

नींद में बाधा और रात में रक्त में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट डिमेंशिया के खतरे के लिए दोहरा झटका है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि स्लीप एपनिया का उपचार डिमेंशिया के खतरे को कम कर देगा।(द कनवर्सेशन)
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