शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. chinese spy ballon in US sky, why China interference in the world is increasing
Written By
Last Updated : शनिवार, 4 फ़रवरी 2023 (12:43 IST)

अमेरिका में चीन के 'Spy बलून' पर बवाल, कहीं चीनी घुसपैठ का नया तरीका तो नहीं?

अमेरिका में चीन के 'Spy बलून' पर बवाल, कहीं चीनी घुसपैठ का नया तरीका तो नहीं? - chinese spy ballon in US sky, why China interference in the world is increasing
वाशिंगटन। अमेरिका में चीनी जासूसी गुब्बारे की मौजूदगी ने अमेरिका की धड़कने तेज कर दी हैं। चीनी गुब्बारा कनाडा, यूएस और अब लैटिन अमेरिका के ऊपर मंडरा रहा है। इससे चीन और अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ गई है। हालांकि चीन ने इसे जासूसी गुब्बारा मानने से इनकार किया है। गुब्बारा विवाद के चलते ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपनी चीन यात्रा भी रद्द कर दी है। अमेरिका में चीनी स्पाय बलून की मौजूदगी से यह सवाल भी उठ रहा है कि दुनिया में चीन का दखल क्यों बढ़ रहा है?
 
अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने शुक्रवार रात कहा कि चीन का एक और निगरानी गुब्बारा लातिन अमेरिका के ऊपर से गुजर रहा है। पेंटागन के प्रेस सचिव ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा कि हमें एक और गुब्बारे के लातिन अमेरिका के ऊपर से गुजरने की खबरें मिल रही हैं। हमारा आकलन है कि यह एक और चीनी निगरानी गुब्बारा है।
 
इससे पहले मोंटाना में भी एक चीनी निगरानी गुब्बारे को अमेरिकी क्षेत्र के भीतर उड़ते देखे जाने की जानकारी मिली थी। मोंटाना में अमेरिका के तीन मिसाइल प्रक्षेपण स्थल हैं। दूसरी ओर, अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि यह गुब्बारा जासूसी के मकसद से ही अमेरिका के हवाई क्षेत्र में घुसा था। 
 
व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को चीन द्वारा अमेरिकी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किए जाने की जानकारी दी गई है और वह स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं। बाइडन ने आमजन की सुरक्षा के मद्देनजर चीनी गुब्बारे को अभी नष्ट नहीं करने का फैसला किया है, लेकिन सभी कदमों पर चर्चा की जाएगी। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि उनका पहला काम यह सुनिश्चित करना है कि चीनी गुब्बारे को अमेरिका के हवाई क्षेत्र से बाहर किया जाए।
 
3 बसों जितना बड़ा है गुब्बारा : पेंटागन ने कहा कि बड़ी संख्या में पेलोड से लैस तीन बसों जितना बड़ा चीनी गुब्बारा संभवत: अगले कुछ दिनों तक अमेरिकी आसमान में रहेगा और इसमें व्यापक निगरानी करने की क्षमता है। यह गुब्बारा 60000 फीट की ऊंचाई पर है और अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि इससे कोई खतरा नहीं है।
 
क्यों मचा है बवाल : दक्षिण सागर में चीन को चुनौती देने के लिए अमेरिका ने फिलीपींस में अपनी सैन्य टुकड़ियां भेजने का फैसला किया है। फिलीपींस ने अमेरिका ने 9 सैन्य अड्डे बना लिए हैं। इस वजह से भी अमेरिका में चीनी गुब्बारे ने हलचल मचा दी है।
 
क्या है मामले में चीन की सफाई : चीन ने इसे जासूसी गुब्बारा मानने से पूरी तरह इनकार कर दिया है। चीन का दावा है कि गुब्बारा एक मौसम रिसर्च उपग्रह है, जो दिशा भटक गया है और उसका (बीजिंग का) किसी भी संप्रभु देश के क्षेत्राधिकार तथा वायु क्षेत्र का उल्लंघन करने का कोई इरादा नहीं है।
 
क्या बोले ब्लिंकन : ब्लिंकन ने कहा कि जब स्थितियां अनुमति देंगी, मैं चीन जाने की योजना बनाऊंगा, लेकिन इस समय सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह निगरानी वस्तु हमारे हवाई क्षेत्र से बाहर हो जाए और हम इसे यहां से बाहर निकालेंगे।
 
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि हमने चीन को यह स्पष्ट कर दिया है। मुझे लगता कि जिस किसी देश के हवाई क्षेत्र का इस प्रकार उल्लंघन किया जाएगा, वह इसी प्रकार प्रतिक्रिया देगा। मैं तो केवल यह सोचता हूं कि यदि हमारी जगह चीन होता, तो उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी।
 
ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका के ऊपर निगरानी गुब्बारा उड़ाने का चीन का निर्णय अस्वीकार्य और गैर-जिम्मेदाराना है। यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है, यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। यह बहुत महत्वपूर्ण था कि हम हर तरह की संवेदनशील जानकारी की रक्षा, अपने लोगों की सुरक्षा और चीन को यह स्पष्ट करने के लिए कार्रवाई करें कि यह अस्वीकार्य और गैर-जिम्मेदाराना कदम है।
 
दुनिया में बढ़ रहा है चीन का दखल : चीन को एक विस्तारवादी देश माना जाता है। भारत, जापान, ताइवान, फिलीपींस, इंडोनेशिया, वह 25 से ज्यादा देशों के साथ अपनी समुद्री और जमीनी सीमाएं साझा करता है। इनमें से अधिकांश देशों पर वह अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहता है।
 
इसी वजह से उसने श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल आदि देशों के पहले भरपूर मदद की और जब यह देश संकट में पड़े तो उसने अपने हाथ खिंच लिए। ये देश बर्बादी की कगार पर पहुंच गए। रूस से भी उसका सीमा विवाद चल रहा है तो अमेरिका और यूरोपीय देश भी चीन पर लगातार उनके मामलों में दखल देने का आरोप लगाते रहे हैं।
ये भी पढ़ें
अंतत: गुलाम नबी आजाद की पार्टी को मिला नाम और पहचान, नया नाम रहेगा ' डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी'