• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. खोज-खबर
  3. रोचक-रोमांचक
  4. Friday calendar
Written By
Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 13 नवंबर 2015 (10:54 IST)

अब नहीं रहेगा 13 तारीख और शुक्रवार का भय...

Friday calendar
नई दिल्ली। शुक्रवार का दिन 13 तारीख को पड़ जाने को कुछ लोग शुभ नहीं मानते। ऐसे लोग शुक्रवार का दिन 13 तारीख को पड़ने से एक अजीबोगरीब भय से ग्रस्त रहते हैं। इस भय को फ्राइगेट्राइस्काइडेकाफोबिक नाम से जाना जाता है। ऐसे लोगों के भय को दूर करने के लिए एक ऐसा कैलेण्डर बनाया गया है जिसमें शुक्रवार के दिन 13 तारीख नहीं पड़ेगी।
 
फ्राइगेट्राइस्काइडेकाफोबिक से ग्रस्त लोगों का मानना है कि शुक्रवार और 13 तारीख का संयोजन दुर्भाग्यपूर्ण होता है। भारतीय वायुसेना के एक पूर्व अधिकारी ने एक ऐसा कैलेंडर तैयार किया है, जिसमें शुक्रवार कभी 13 तारीख को नहीं आता। अपने इस काम को वर्ष 1994 में लिम्का बुक रिकॉर्ड में दर्ज करवाने का दावा करते हुए बृज भूषण विज ने कहा कि मेरा सिद्धांत यह है कि 13 तारीख कभी भी शुक्रवार के दिन नहीं होगी क्योंकि मेरे कैलेंडर की शुरूआत सोमवार से होती है। मेरी कोशिश यह है कि तारीख की शुरूआत संक्रांति के साथ की जाए, जो कि शुक्रवार को पड़ रही हो। इससे अगले दिन के नए कैलेंडर की शुरूआत सोमवार से हो सकेगी। वर्ना आम कैलेंडर में तो दिन सतत तरीके से चलते रहते हैं इसलिए अन्य ढाई दिन अपने आप व्यवस्थित हो जाते हैं। मेरी गणनाओं में मैंने कहा है कि अन्य ढाई दिनों को हटा दिया जाना चाहिए।
 
सोमवार को शुरू होने वाली इस व्यवस्था के तहत कैलेंडर में शुक्रवार के दिन कभी भी 13 तारीख नहीं आएगी। विज ने कहा कि उनका कैलेंडर की मदद से वे लोग हर साल केक काट सकेंगे, जिनका जन्मदिन 29 फरवरी को आता है। उन्होंने कहा कि मैं कहता हूं कि मौजूदा जॉर्जियन कैलेंडर को बिना किसी बदलाव के ही रखिए। मैंने बस इतना किया है कि मैंने इससे 31 जुलाई हटाकर उसे 29 फरवरी बना दिया है। जहां तक लीप वर्ष के लिए चार से भाग किए जाने की बात है तो अब यह लीप दिवस 30 जून और एक जुलाई के बीच आ जाता है। 29 फरवरी को जन्मे जो लोग कभी अपना जन्मदिन नहीं मना पाए थे, वे अब ऐसा कर पाएंगे। अमेरिका में जाकर बस चुके विज ने कैलेंडर बनाने के लिए की जाने वाली गणना की इस नयी धारणा को ‘मिनटों और घंटे का दशमलवीकरण’ बताया।
उन्होंने कहा कि मैं अपने इस विचार को भारत के हर कोने में लेकर गया। जब जगजीवन राम रक्षामंत्री थे, उस समय मेरे इस विचार को प्रश्न के रूप में संसद में रखा गया था। मेरा यह विचार कई बार प्रकाशित हो चुका है लेकिन अब तक लोगों के बीच इसे अपनाया नहीं गया है। उन्होंने कहा कि बाद में जब मैं अमेरिका गया तो मेरा यह विचार मैंने यूएस मीट्रिक असोसिएशश्न के सामने रखा और वर्ष 2002 के बाद से कैलेंडर-एल समूह के साथ इसपर चर्चा हो रही है। मैं नहीं जानता कि वे मेरे काम को मान्यता देंगे या नहीं। मेरा काम वहां है और उन सबको इसके बारे में पता है। विज हंसते हुए कहते हैं कि आम तौर पर जो लोग ऐसा प्रयास करते हैं, वे या तो खगोलवेत्ता होते हैं या गणितज्ञ लेकिन मैं इनमें से कोई भी नहीं हूं। वह दावा करते हैं कि उनके कैलेंडर को समझना मुश्किल नहीं है और इसमें वैज्ञानिक गणनाओं का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इसकी स्वीकार्यता में हालांकि समय लग सकता है। (भाषा)