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कुंभ मेला, शंकराचार्य एक नहीं तो धर्म कैसे होगा एक?

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शैवपंथ के आचार्यों को शंकराचार्य, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर आदि की पदवी से सम्मानित किया जाता है। उसी तरह वैष्णव पंथ के आचार्यों को रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य, महंत आदि की पदवी से सम्मानित किया जाता है। नागा दोनों ही संप्रदाय में होते हैं। मूलत: चार संप्रदायों (शैव, वैष्णव, उदासीन, शाक्त) के कुल तेरह अखाड़े हैं। इन्हीं के अंतर्गत साधु संतों को शिक्षा और ‍दीक्षा दी जाती है।

इस बार फिर असली और नकली शंकराचार्यों को लेकर विवाद चल रहा है। शंकराचार्य आपस में झगड़ रहे हैं और एक दूसरे को शास्त्रार्थ ‍के लिए ललकार रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि ‍जनता किसे असली और किसे नकली मानें? चार शंकराचार्य के आज सैंकड़ों हो गए हैं।

प्रधान शंकराचार्य नियुक्त हो : कुछ विद्वानों का कहना है कि सभी शंकराचार्यों के ऊपर एक प्रधान शंकराचार्य नियुक्त कर दिया जाना चाहिए ताकि हिंदुओं को पता चले कि हमें किसके निर्णय का पालन करना चाहिए और किसको अपना धर्मगुरु मानना चाहिए। स्वघोषित संन्यासियों का हिंदू धर्म से कोई संबंध नहीं है- जैसे बाबा रामदेव, संत आसाराम, श्रीश्री रविशंकर, राधे मां, निर्मल बाबा आदि सैकड़ों संत हैं जिन्होंने कुंभ में अपने-अपने कैंप लगाकर ‍दुकानदारी खोल रखी है।
 
PTI

चतुष्पद की मांग : हालांकि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने कुंभ क्षेत्र में चतुष्पद बनाए जाने की मांग कर रखी है। उनका मानना है कि इसमें चार शंकराचार्यो को बसाया जाए जिससे लोगों को यह जानकारी हो सके कि कौन शंकराचार्य असली हैं। उनकी इस मांग पर बखेड़ा हो चुका है।

शास्त्रार्थ की व्यवस्था : मंगलवार को सुमेरुपीठ के स्वामी नरेंद्रानंद दल-बल के साथ संगम तट पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद से शास्त्रार्थ करने पहुंच गए। हालांकि शंकराचार्य स्वरूपानंद ने पहले ही इस शास्त्रार्थ में नहीं आने की घोषणा कर दी थी। इसी बीच सुमेरुपीठ के स्वामी नरेंद्रानंद ने भी प्रयाग में 9 जनवरी को शास्त्रार्थ करने चुनौती दी थी।

 
ND
सनातन धर्म संरक्षण समिति : सनातन धर्म संरक्षण समिति ने यहां शास्त्रार्थ की व्यवस्था कर रखी थी। सनातन धर्म संरक्षण समिति ने सभी शंकराचार्यो को यहां आमंत्रित किया था। इसे लेकर पिछले दिनों उन्होंने काशी में विद्वत परिषद के सामने असली और नकली शंकराचार्य के मसले पर शास्त्रार्थ की बात कही थी।

सनातन धर्म संरक्षण समिति संयोजक ओंकारनाथ त्रिपाठी हैं। गठित समिति में तीर्थ पुरोहित महासभा के विधि संयोजक मधु चकहा, त्रिवेणी कल्याण महासमिति के अध्यक्ष फूलचंद्र दुबे, तुलसी साहित्य दर्शन केंद्र श्रृंगवेरपुर के सचिव संजीव पाण्डेय, अखिल भारतीय ब्राह्मण समाजोत्थान समिति के अध्यक्ष डॉ.अनिल कुमार त्रिपाठी, हनुमत संस्कृत विद्यालय धर्मार्थ समिति के शेषचंद्र शुक्ला, विजय कुमार, विक्रम निषाद, अशोक आदि शामिल हैं।

ये हैं अधिकृत शंकराचार्य : मेला प्रशासन अनुसार पूर्व वर्षो के उपलब्धअभिलेखों एवं परंपराओं के अनुरूप कुंभ मेला 2013 से चारों पीठाधीश्वरों को शंकराचार्य के रूप में मान्यता देते हुए कुंभ मेला में भूमि एवं अन्य सुविधाएं प्रदान कर रहा है।

आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों पीठों में से 1.गोवर्धन पुरी के स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, 2.श्रृंगेरीपीठ के शंकराचार्य भारती तीर्थ, 3.शारदापीठ द्वारिका और 4.ज्योतिष पीठ बद्रिकाश्रम के स्वामी स्वरूपानंद महाराज को भूमि आवंटित की गई है।

कुंभ मेला प्रशासन अनुसार आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार शंकराचार्यो को ही मान्यता है। अन्य जो भी शंकराचार्य की पदवी धारण किए हुए हैं, वह फर्जी है। (एजेंसियां)

नीचे दी गई लिंक संत संप्रदाय के स्थापकों से संबंधित हैं:-

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