• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. इतिहास-संस्कृति
  3. भारतीय
  4. Where did the Mughals come from
Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 19 जुलाई 2025 (15:14 IST)

किस देश से आए थे मुगल और क्या था उनके भारत आने का असली मकसद?, जानिए इतिहास

ncert books history changes in hindi
Where did the Mughals come from: भारतीय इतिहास के पन्नों में मुगल साम्राज्य का आगमन एक ऐसी घटना है जिसने उपमहाद्वीप की नियति को हमेशा के लिए बदल दिया। लेकिन, अक्सर यह सवाल उठता है कि ये मुगल आखिर किस देश से आए थे, भारत में उनका आगमन क्यों हुआ, और वे यहां आकर क्यों बस गए, जबकि उनकी जड़ें कहीं और थीं? यह सिर्फ एक सैन्य विजय की कहानी नहीं, बल्कि महत्वाकांक्षा, पलायन और एक नए घर की तलाश की जटिल गाथा है।

मुगलों का मूल निवास: मध्य एशिया की अस्थिरता से पलायन
मुगल वंश का संस्थापक, जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर, मध्य एशिया के फरगना घाटी (जो अब आधुनिक उज़्बेकिस्तान में है) से आया था। वह अपने पिता की ओर से महान तुर्क-मंगोल विजेता तैमूर लंग का पांचवां वंशज था, और अपनी माता की ओर से मंगोल शासक चंगेज़ खान से भी उसका संबंध था। यह वंशानुक्रम ही मुगलों को एक विशिष्ट पहचान देता है – वे तुर्क और मंगोल दोनों के रक्त से जुड़े थे।

बाबर का शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा था। मात्र 12 साल की उम्र में फरगना का शासक बनने के बाद, उसे अपने ही चाचाओं और शक्तिशाली उज़्बेगों के लगातार आक्रमणों का सामना करना पड़ा। वह समरकंद जैसे अपने पैतृक क्षेत्रों को जीतने और उन पर स्थायी रूप से शासन स्थापित करने में बार-बार विफल रहा। मध्य एशिया की यह राजनीतिक अस्थिरता और लगातार मिल रही चुनौतियां ही उसे एक नए, अधिक स्थिर साम्राज्य की तलाश में धकेल रही थीं।

क्या था मुगलों के भारत आने का मकसद 
बाबर के भारत आने के पीछे कई मकसद थे, जो उसकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और तत्कालीन भारत की परिस्थितियों का परिणाम थे:

साम्राज्य विस्तार की लालसा: तैमूर के वंशज के रूप में, बाबर खुद को दिल्ली के सिंहासन का वैध उत्तराधिकारी मानता था। वह तैमूर के नक्शेकदम पर चलते हुए भारत में एक विशाल और स्थायी साम्राज्य स्थापित करना चाहता था। मध्य एशिया में असफलताओं के बाद, भारत उसे एक नई और उपजाऊ भूमि के रूप में दिखाई दिया जहां वह अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकता था।

भारत की धन-संपदा: भारत सदियों से अपनी अपार धन-संपदा के लिए प्रसिद्ध रहा था, जिसे 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था। बाबर को काबुल से मिलने वाली आय सीमित थी, जो उसकी सेना और प्रशासन के खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। भारत की समृद्धि उसे आर्थिक रूप से मजबूत होने का अवसर प्रदान कर रही थी।

भारत की राजनीतिक अस्थिरता: 16वीं शताब्दी की शुरुआत में, दिल्ली सल्तनत कमजोर पड़ चुकी थी। अंतिम लोदी शासक, इब्राहिम लोदी, अपने ही सरदारों और क्षेत्रीय शक्तियों के बीच अलोकप्रिय था। पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी और मेवाड़ के शक्तिशाली राजपूत शासक राणा सांगा जैसे लोदी वंश के विरोधियों ने स्वयं बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया, जिससे उसे एक सुनहरा अवसर मिल गया।

मध्य एशियाई चुनौतियों से मुक्ति: उज़्बेगों से लगातार मिल रही हार और अपनी पैतृक भूमि में स्थायी रूप से शासन स्थापित करने में असमर्थता ने बाबर को एक ऐसे स्थान की तलाश में धकेल दिया जहां वह अपनी शक्ति को मजबूत कर सके और एक स्थिर साम्राज्य बना सके।

भारत आकर क्यों रुक गए मुगल
बाबर ने भारत पर कई छोटे-मोटे आक्रमण किए, लेकिन 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी पर मिली निर्णायक जीत ने उसे दिल्ली और आगरा पर अधिकार दिला दिया। इसके बाद, 1527 में खानवा का युद्ध में राणा सांगा पर विजय और 1529 में घाघरा का युद्ध में अफगानों पर अंतिम प्रहार ने भारत में उसकी स्थिति को अभूतपूर्व रूप से मजबूत कर दिया।

इन लगातार जीतों ने बाबर को यह विश्वास दिलाया कि भारत ही वह भूमि है जहां वह अपने सपनों का साम्राज्य स्थापित कर सकता है। भारत की उर्वर भूमि, प्रचुर संसाधन और मध्य एशिया की तुलना में कम संगठित प्रतिरोध ने उसे यहां स्थायी रूप से बसने के लिए प्रेरित किया। उसने पाया कि भारत न केवल धन-संपदा से परिपूर्ण था, बल्कि यहां एक ऐसे साम्राज्य की स्थापना की जा सकती थी जो मध्य एशिया की अस्थिरता से मुक्त हो। इस प्रकार, जो बाबर पहले केवल लूटपाट के इरादे से आया था, वह धीरे-धीरे एक स्थायी शासक बन गया, जिसने भारत को अपना घर बनाया और एक ऐसे साम्राज्य की नींव रखी जो लगभग तीन शताब्दियों तक चला।

मुगलों का भारत आगमन केवल एक आक्रमण नहीं था, बल्कि यह मध्य एशिया की जटिल भू-राजनीति, बाबर की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा, भारत की तत्कालीन राजनीतिक कमजोरी और उसकी अपार समृद्धि का एक संगम था। वे अपनी पैतृक भूमि की अस्थिरता से भागकर एक नए और स्थिर घर की तलाश में आए थे, और भारत ने उन्हें वह अवसर प्रदान किया। यहां आकर उन्होंने न केवल अपनी सैन्य शक्ति स्थापित की, बल्कि एक ऐसी सभ्यता और संस्कृति का निर्माण भी किया, जिसकी छाप आज भी भारतीय उपमहाद्वीप पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
ये भी पढ़ें
बाप को जेल और भाई की हत्या...जानिए कितना क्रूर शासक था औरंगजेब