aurangzeb tyranny and cruelty: मुगल साम्राज्य के छठे सम्राट औरंगजेब आलमगीर का शासनकाल (1658-1707) भारतीय इतिहास में सबसे विवादास्पद और क्रूर शासकों में से एक के रूप में दर्ज है। जहां एक ओर उसे एक कुशल प्रशासक और साम्राज्य के विस्तारक के रूप में देखा जाता है, वहीं दूसरी ओर उसकी धार्मिक असहिष्णुता, सत्ता के लिए परिवार के प्रति निर्दयता और विभिन्न समुदायों पर किए गए अत्याचारों के लिए उसे 'क्रूर शासक' के रूप में याद किया जाता है। आइए, इतिहास के पन्नों से औरंगजेब की क्रूरता के उन पहलुओं को समझते हैं, जो उसकी बदनामी की वजह बने।
सत्ता के लिए परिवार का विनाश: पिता को जेल और भाइयों की हत्या
औरंगजेब की क्रूरता की शुरुआत उसके अपने परिवार से हुई। सत्ता हासिल करने की उसकी लालसा इतनी प्रबल थी कि उसने अपने पिता, सम्राट शाहजहां को भी नहीं बख्शा। शाहजहां को उनके अंतिम आठ साल (1658-1666) आगरा के किले में मुसम्मन बुर्ज में कैद रखा गया, जहां से वे केवल ताजमहल को देख सकते थे, जिसे उन्होंने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था।
इतना ही नहीं, औरंगजेब ने अपने भाइयों को भी सत्ता के रास्ते से हटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसने अपने बड़े भाई और शाहजहां के पसंदीदा उत्तराधिकारी दारा शिकोह को सामूगढ़ और देवराई के युद्धों में पराजित किया। दारा शिकोह को 1659 में पकड़कर दिल्ली में सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया और फिर उसका सिर कलम कर दिया गया। कहा जाता है कि दारा का सिर थाली में रखकर कैद शाहजहां के पास भेजा गया था। उसने अपने अन्य भाइयों, शाह शुजा और मुराद बख्श को भी मौत के घाट उतार दिया या कैद कर लिया, जिससे सत्ता के लिए उसके निर्दयी स्वभाव का पता चलता है।
मराठा योद्धाओं के खिलाफ निर्दयता
औरंगजेब का मराठा साम्राज्य के साथ लंबा और खूनी संघर्ष चला। उसने छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज को 1689 में धोखे से पकड़ लिया। संभाजी को अमानवीय यातनाएं दी गईं, उनकी आंखें निकाल ली गईं और फिर बेरहमी से उनकी हत्या कर दी गई। औरंगजेब ने मराठा शक्ति को पूरी तरह से कुचलने के लिए दक्कन में लगभग 25 साल बिताए, जिससे मुगल साम्राज्य के संसाधनों का भारी नुकसान हुआ और अंततः उसके पतन का एक बड़ा कारण बना। इस लंबे युद्ध में उसने असीमित क्रूरता का प्रदर्शन किया।
राजपूत राज्यों पर हमला और विश्वासघात
अकबर की राजपूत नीति के विपरीत, औरंगजेब ने राजपूतों के साथ संबंध बिगाड़ लिए। उसने राजपूत राज्यों पर हमला किया, विशेषकर मारवाड़ (जोधपुर) और मेवाड़ (उदयपुर) के राज्यों पर, जिससे राजपूतों का विश्वास खो गया। उसकी कठोर नीतियों ने राजपूतों को मुगलों के वफादार समर्थकों से विद्रोही बना दिया, जिससे साम्राज्य को लगातार सैन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
गुरु तेग बहादुर की शहादत और हिंदुओं पर धार्मिक दमन
औरंगजेब की धार्मिक असहिष्णुता उसकी सबसे बड़ी क्रूरताओं में से एक थी। उसने गैर-मुसलमानों पर जजिया कर फिर से लगा दिया, जिसे अकबर ने हटा दिया था। उसने कई हिंदू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया, जिनमें काशी विश्वनाथ मंदिर (बनारस) और केशव राय मंदिर (मथुरा) जैसे प्रमुख मंदिर शामिल थे।
सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की शहादत थी। औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया। जब उन्होंने इनकार कर दिया, तो 1675 में दिल्ली में सार्वजनिक रूप से उनका सिर कलम कर दिया गया। यह घटना औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता का सबसे बड़ा प्रमाण है।
संतों और आध्यात्मिक नेताओं पर अत्याचार
औरंगजेब ने न केवल धार्मिक समुदायों पर दमन किया, बल्कि उसने संतों और आध्यात्मिक नेताओं को भी नहीं बख्शा, यदि वे उसकी नीतियों के खिलाफ थे। उसने अपने शासनकाल में कई सूफी संतों और फकीरों को भी सताया, जो उसकी कट्टर धार्मिक नीतियों से सहमत नहीं थे।
दक्षिण भारत में युद्ध और क्रूरता
औरंगजेब ने अपने शासनकाल का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण भारत में सैन्य अभियानों में बिताया। उसने बीजापुर और गोलकुंडा की शिया सल्तनतों पर विजय प्राप्त की, लेकिन इस प्रक्रिया में भारी रक्तपात और विनाश हुआ। इन अभियानों ने मुगल साम्राज्य को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया और उसकी सेना को थका दिया, जिससे साम्राज्य का पतन और तेज हो गया।
अपनी ही बेटी जेबुन्निसा को 20 साल कैद में रखा
औरंगजेब की क्रूरता का एक और उदाहरण उसकी अपनी बेटी जेबुन्निसा के प्रति उसका व्यवहार था। एक प्रतिभाशाली कवयित्री और विद्वान होने के बावजूद, जेबुन्निसा को उसके पिता ने 20 साल तक दिल्ली के सलीमगढ़ किले में कैद रखा। माना जाता है कि जेबुन्निसा की कृष्ण भक्ति या उसके कथित प्रेम प्रसंगों के कारण औरंगजेब ने उसे कैद किया था, जहां 1702 में उसकी मृत्यु हो गई। यह घटना उसके व्यक्तिगत जीवन में भी उसकी कठोरता को दर्शाती है।
औरंगजेब का शासनकाल मुगल साम्राज्य के विस्तार का अंतिम चरण था, लेकिन यह उसकी क्रूरता, धार्मिक असहिष्णुता और सत्ता के लिए किसी भी हद तक जाने के उसके स्वभाव के लिए भी जाना जाता है। पिता को कैद करना, भाइयों की हत्या, मराठाओं और राजपूतों पर अत्याचार, गुरु तेग बहादुर की शहादत, और हिंदुओं पर धार्मिक दमन, ये सभी उसके शासन के काले अध्याय हैं। उसकी नीतियों ने साम्राज्य के भीतर असंतोष को बढ़ाया और अंततः मुगल साम्राज्य के पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। औरंगजेब का इतिहास हमें सत्ता की अंधी दौड़ और धार्मिक कट्टरता के विनाशकारी परिणामों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।