आधी आबादी का सवाल : हम कहां हैं प्रधानमंत्री जी
69वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी बोले, और खूब बोले, हमने सुना और बड़े ध्यान से सुना। आपने सबके विकास की बात की, आपने समाज में समरसता की बात की। आपने 2022 के लिए शुभ संकल्प दिलाया है। स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया से आगे आकर आपने स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया का नया नारा दिया। पूरे भाषण में हम देश की आधी आबादी सिर्फ दो बार सांकेतिक रूप से याद की गई। एक बार तब जब आपने कहा महिलाएं सशक्त हो और दूसरी बार तब जब आपने कहा कि बैंक की हर शाखा कम से कम एक दलित या आदिवासी को स्टार्ट अप इंडिया के लोन दे। सवा लाख शाखाएं महिला उद्यमियों के लिए योजना बना सकती हैं। 'बनाएगी' जैसा कोई वादा तो नहीं पर हां 'बना सकती है' जैसा राजनीतिक आश्वासन...
आश्चर्य है प्रधानमंत्री जी कि आप कितनी सरलता से अपने आपको और अपनी सरकार को हम महिलाओं के सामने से बचा ले गए... ना सुरक्षा की बात, ना सम्मान का जिक्र। ना कोई नई योजनाएं ना कोई लक्ष्य, ना संकल्प ना कोई आश्वासन... कुछ-कुछ ऐसा कि ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की...
कामकाजी महिलाएं हो या गृहणी, बड़ी उम्मीदों, आशाओं, सपनों और आकांक्षाओं के साथ 69 वें स्वतंत्रता दिवस के आपके भाषण के लिए प्रतिक्षित थीं। पर हाथ में क्यों नहीं आया ऐसा कुछ जिससे देश का महिला वर्ग आत्मविश्वास की नई सुंदर इबारतें रच पाता.. एक नया उत्साह, नई प्रेरणा उनमें जगा पाता...आपके 'स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया' के शुभ अभियान में चमकती भारत की ग्राम्य बालाओं की सरल-तरल मुस्कान ने जो खुशी दी थी आज आपके भाषण में उसकी अनुपस्थिति ने हल्का सा उदास कर दिया।
आपने कहा नए-नए संकल्प की पूर्ति से राष्ट्र आगे बढ़ता है फिर क्यों इस देश की महिलाओं के लिए एक भी संकल्प नहीं लिया गया। क्या उनके बिना बढ़ सकेगा राष्ट्र आगे? सक्षम, समृद्ध, स्वाभिमानी, सुसंस्कृत भारत बनाने की दिशा में देश की नारी शक्ति के योगदान को आप कहां रख कर देख रहे हैं यह देश की महिलाएं आपके भाषण के माध्यम से जानना चाहती थीं, चाहती हैं....
जब आपके मुंह से सुना कि स्कूलों में शौचालयों के निर्माण के बाद छात्राओं की संख्या बढ़ी तो एक उम्मीद बनी कि अब आप हमें बताने वाले हैं कि इससे बलात्कार की संख्या में भी कमी आई है। देश की महिलाओं के खिलाफ बढ़ता-पनपता निरंतर फैलता और नासूर बनता सबसे बड़ा अपराध बलात्कार है और उनके बढ़ते आंकड़ों को सुनकर भी समूचे समाज का दिल नहीं दहलता, अगर कहीं कुछ सिसकता सुनाई देता है तो एक पिता का दिल और एक मां का आंचल ... हर वह पिता कुछ देर के लिए सहम जाता है जिसके आंगन में लाड़ली अपने नन्हे कदमों से ठुमक रही है। हर वह मां कुछ देर के लिए विचलित हो जाती है जिसकी कोमल कली की मीठी हंसी कलेजे में हर समय सुरक्षित है। लेकिन उसकी सुरक्षा और स्वस्थ नैतिक वातावरण के सवाल पर देश के प्रधानमंत्री क्या सोचते हैं यह सुनने के लिए देश की मां के कान बड़े उत्सुक थे .... प्रधानमंत्री जी आप बहुत अच्छा बोले, आप अच्छा ही बोलते हैं लेकिन कुछ मन आपसे कुछ और बात करना चाहते थे, चाहते हैं.. और वह मन है इस देश की आधी आबादी का...आप सुन रहे हैं ना...
सेल्फी विद डॉटर के साथ कुछ प्लानिंग विद डॉटर भी होती तो क्या बात थी...