( ये गीत आजादी की लड़ाई के दौरान आजादी के उन परवानों के द्वारा लिखे गए थे, जिन्हें आज कोई नहीं जानता। ब्रिटिश हुकूमत के समय में ये गीत सरकार ने जब्त कर लिए थे और इन्हें लिखने वालों को अँग्रेज सरकार के उत्पीड़नों का शिकार होना पड़ा था। ये गीत आज भी हमें उस जज्बे की याद दिलाते हैं, जो उनके दिलों में सुलग रही थी और जिसने आजादी की शमा को रौशन रखा।)
देशभगत का प्रलाप
- कमल
हमारा हक है हमारी दौलत़ किसी के बाबा का जर नहीं है,
Subrato
ND
है मुल्क भारत वतन हमारा, किसी की खाला का घर नहीं है।
ये आत्मा तो अजर-अमर है निसार तन-मन स्वदेश पर है है चीज क्या जेल, गन, मशीनें, कजा का भी हमको डर नहीं है।
न देश का जिनमें प्रेम होवे, दु:खी के दु:ख से जो दिल न रोए, खुशामदी बन के शान खोए वो खर है हरगिज बशर नहीं है।
हुकूक अपने ही चाहते हैं न कुछ किसी का बिगाड़ते हैं, तुझे तो ऐ खुदगरज ! किसी की भलाई मद्देनजर नहीं है।
हमारी नस-नस का खून तूने बड़ी सफाई के साथ चूसा, है कौन-सी तेरी पालिसी वो कि जिसमें घोला जहर नहीं है।
बहाया तूने हैं ख़ूँ उसी का, है तेरी रग-रग में अन्न जिसका, बता दे बेदर्द तू ही हक से, सितम यह है या कहर नहीं है।
जो बेगुनाहों को सताता, कभी न वो सुख से बैठ पाता, बड़े-बड़े मिट गए सितमगर, तुझे क्या इसकी खबर नहीं है।
वो दिन भी आएगा
- गनी वो दिन भी आएगा जब फिर बहार देखेंगे,
ND
ND
गरीब हिंद को हम ताजदार देखेंगे।
घड़ी वो दूर नहीं, ऐ वतन के शैदाओं ! कि मुल्के हिंद को फिर पुरबहार देखेंगे।
अदू की सख्तियाँ उल्टा असर दिखाएँगी, वो गाफिलो को फिर अब होशियार देखेंगे।
बढ़े चलो ऐ जवानों फतह हमारी है, वतन को जल्द ही बाइख्तियार देखेंगे।
हरीफ सख्तियाँ कर-करके हार जाएगा, गली में गाँधी के नुसरत का हार देखेंगे।
मिलेगा हिंद को सौराज एक दिन खुर्शीद, खिजाँ को देखने वाले बहार देखेंगे।
जलियाँवाला बाग - सरजू
बेगुनाह पर बमों की बेखतर बौछार की, दे रहे हैं धमकियाँ बंदूक और तलवार की। बागे-जलियाँ में निहत्थों पर चलाईं गोलियाँ, पेट के बल भी रेंगाया, जुल्म की हद पार की। हम गरीबों पर किए जिसने सितम बेइंतहा, याद भूलेगी नहीं उस डायरे-बद्कार की। या तो हम मर ही मिटेंगे या तो ले लेंगे स्वराज, होती है इस बार हुज्जत खत्म अब हर बार की। शोर आलम में मचा है लाजपत के नाम का, ख्वार करना इनको चाहा अपनी मिट्टी ख्वार की। जिस जगह पर बंद होगा शेरे-नर पंजाब का, आबरू बढ़ जाएगी उस जेल की दीवार की। जेल में भेजा हमारे लीडरों को बेकसूर, लॉर्ड रीडिंग तुमने अच्छी न्याय की भरमार की। खूने मजलूमों की सूरत अब तो गहरी धार है, कुछ दिनों में डूबती आबरू अगियार की।
भारत की आन
- रौशन
आन भारत की चली इसको बचा लो अब तो,
ND
ND
कौम के वास्ते दु:ख-दर्द उठा लो अब तो। देश के वास्ते गर जेल भी जाना पड़े, शौक से हथकड़ी कह दो कि लगाओ हमको।
है मुखालिफ जो कोई उसका न कुछ खौफ करो, जेल का डर जो दिलों में है निकालो अब तो।
अब नहीं वक्त कि तकलीफ को महसूस करो, बोझ जो सिर पर पड़े उसको उठा अब तो। जो करो दिल से करो, मुल्क की खातिर करो, बात सच कहता है ‘रोशन’ कि न टालो अब तो।
कौमी झंडा
- शामलाल पार्षद
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
ND
ND
झंडा ऊँचा रहे हमारा सदा शक्ति सरसाने वाला, प्रेम-सुधा बरसाने वाला वीरों को हर्षाने वाला, मातृभूमि का तन-मन सारा झंडा ऊँचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण रण में, लखकर बढ़े जोश छन-छन में काँपे शत्रु देखकर मन में, मिट जाए भय संकट सारा झंडा ऊँचा रहे हमारा। इस झंडे के नीचे निर्भय, ले स्वराज्य हम अविचल निश्चय, बोलो भारत माता की जय, स्वतंत्रता है ध्येय हमारा झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इसकी शान न जाने पाए, चाहे जान भले ही जाए विश्व विजय करके दिखलाए, तब होवे प्रण पूर्ण हमारा झंडा ऊँचा रहे हमारा।