खुसरो के काव्यात्मक घरेलू नुस्खे
अमीर खुसरो ने वैद्यराज खुसरो के रुप में काव्यात्मक घरेलू नुस्खे भी लिखे हैं- 1.
त्रि-कटा-त्रिफला, पाँचों नमक पतंग!दाँत बजर हो जात हैं, माँजलो फल के संग!!2.
हरड़-बहेड़ा-आँवला, तीनों नोन पतंग!दाँत बजर सो होत हैं, माँजू फल के संग!!3.
प्रातःकाल खाट से उठके तुरत पिए जो पानी!वा घर वैद्य कबहूँ न जावे, बात खुसरो ने जानी!!4.
साधुन-दासी-चोरन-खाँसी, प्रेम बिना से हाँसी!खुसरो वाकी बुद्धि विनासे, रोटी खाए जो बासी!!5.
हरड़-बहेड़ा आँवला, घी सक्कर में खाए!हाथी दाबे काँख में, साठ कोस ले जाए!!6.
मारन चाहो काऊ को, बिना छुरी बिन घाव!तो वासे कह दीजियो, दूध से पूरी खाए!!7.
प्रतिदिन तुलसी बीज को, पान संग जो खाए!रक्त-धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाय!!8.
माटी के नव पात्र में, त्रिफला रैन में डारी!सुबह-सवेरे-धोए के, आँख रोग को हारी!!9.
चना-चून के-नोन दिन, चौंसठ दिन जो खाए!दाद-खाज-अरू सेहुवा-जरी मूल सो जाए!!10.
सौ-दवा की एक दवा, रोग कोई न आवे!खुसरो-वाको-सरीर सुहावे, नित ताजी हवा जो खावे!!साभार : प्रदीप शर्मा महासचिव, अमीर खुसरो अकादमी, नई दिल्ली