आलू के छिलके ज्यादातर फेंक दिए जाते हैं, जबकि छिलके सहित आलू खाने से ज्यादा शक्ति मिलती है।
जिस पानी में आलू उबाले गए हों, वह पानी न फेंकें, बल्कि इसी पानी से आलुओं का रसा बना लें। इस पानी में मिनरल और विटामिन बहुत होते हैं।
आलू पीसकर, दबाकर, रस निकालकर एक चम्मच की एक खुराक के हिसाब से चार बार नित्य पिएँ, बच्चों को भी पिलाएँ, ये कई बीमारियों से बचाता है।
कच्चे आलू को चबाकर रस को निगलने से भी बहुत लाभ मिलता है। जिन मरीजों के पाचनांगों में अम्लता (खट्टापन) की अधिकता है, खट्टी डकारें आती हैं, वायु अधिक बनती है, उनके लिए गरम-गरम राख या रेत में भुना हुआ आलू बहुत लाभदायक है।
कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ।