कान फिल्म फेस्टिवल के पहले दिन जो सबसे पहली चीज़ दिखाई दी वो थे सड़क पर रखे बड़े बड़े गमले.... मतलब कोई छोटे मोटे गमले नहीं। 6 फुट के गमले जिनमें बाकायदा पेड़ लगे हुए हैं। ...और इस तरह के करीब 400 गमले कान शहर के फेस्टिवल वाले इलाके (क्रोसेट ) में सजाए गए हैं।
इनको देख कर जो सबसे पहला ख्याल आया कि यहां कोई हरियाली की कमी तो है नहीं तो आखिर यह गमले क्यों?? लेकिन वजह समझने में ज्यादा देर नहीं लगी। यह गमले एक तरह से कंक्रीट के बैरियर हैं।
अब अगर यूं ही चट्टानें लगा दी जाएंगी तो एक डर का माहौल बनता है। इस तरह गमले लगाने से खूबसूरती भी बरकरार है और सुरक्षा भी। पिछले साल जुलाई में नीस शहर में आतिशबाजी देखने गए लोगों को आतंकी हमले में एक ट्रक ने कुचल दिया था। यह बैरियर ऐसे किसी भी बड़े ट्रक या लारी को रोकने की ताकत रखते हैं।
अब अगर यूं ही चट्टानें लगा दी जाएंगी तो एक डर का माहौल बनता है। इस तरह गमले लगाने से खूबसूरती भी बरकरार है और सुरक्षा भी। पिछले साल जुलाई में नीस शहर में आतिशबाजी देखने गए लोगों को आतंकी हमले में एक ट्रक ने कुचल दिया था। यह बैरियर ऐसे किसी भी बड़े ट्रक या लारी को रोकने की ताकत रखते हैं।
इतना ही नहीं पुलिस तो हर चप्पे चप्पे पर मौजूद है। सादी वर्दी में भी लोग नज़र रखे हुए हैं। बैग की चेकिंग और सारी जांचें एयरपोर्ट की सिक्यूरिटी को भूलने नहीं देंगी। बताया जा रहा है कि 550
नए सिक्योरिटी कैमरा लगाए गए हैं। कार्लटन होटल, मैरियट होटल और मैजेस्टिक होटल जहां आने वाले लगभग सब बड़े नाम ठहरते हैं। उनकी अपनी सुरक्षा की तैयारियां हैं। और हर सेलिब्रिटी अपनी सिक्योरिटी वैसे भी साथ लेकर ही चलता है। कहने का मतलब है इंतज़ाम सोच के दायरे से भी बाहर तक किए गए हैं।
नए सिक्योरिटी कैमरा लगाए गए हैं। कार्लटन होटल, मैरियट होटल और मैजेस्टिक होटल जहां आने वाले लगभग सब बड़े नाम ठहरते हैं। उनकी अपनी सुरक्षा की तैयारियां हैं। और हर सेलिब्रिटी अपनी सिक्योरिटी वैसे भी साथ लेकर ही चलता है। कहने का मतलब है इंतज़ाम सोच के दायरे से भी बाहर तक किए गए हैं।
लेकिन इस साल कान फिल्म फेस्टिवल एक अलग ही मसले से जूझ रहा है। इस साल नेटफ़्लिक्स की प्रोड्यूस की हुई दो फिल्में भी पाम डी'ओर अवॉर्ड की दावेदार हैं। जब से इन फिल्मों का नाम सामने आया है तब से ही यह बहस चल रही है कि आखिर क्या ऐसी फिल्म को कॉम्पिटीशन में रखना चाहिए जो सिनेमा घर में नहीं दिखाई जाएगी। नेटफ़्लिक्स ऑनलाइन फिल्म लाइब्रेरी की तर्ज पर काम करती है और उसकी फिल्में वहीं मिलेंगी। .लेकिन जो लोग रिवाज पसंद हैं उनके हिसाब से इन फिल्मों को सिनेमा में दिखाया जाना चाहिए।
मामला इस बात पर ठहरा है कि नेटफ्लिक्स इन फिल्मों को कुछ समय के लिए फ्रांस के सिनेमा घरों में दिखाएगी। लेकिन ऐसा अगले साल से ही मुमकिन होगा।
इस मुद्दे ने शुरूआती दिन ही जूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना असर दिखाया जब जूरी प्रेजिडेंट पेड्रो अल्मोडोवार ने कहा कि मेरे हिसाब से ऐसी फिल्म को जो सिनेमा घरों में नहीं दिखाई जाएगी उसे अवार्ड नहीं मिलना चाहिए। लेकिन जूरी मेंबर विल स्मिथ ने तुरंत ही कहा कि सिनेमा में फिल्म देखना या नेटफ्लिक्स पर फिल्म देखना यह बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। और नेटफ्लिक्स ने फिल्मों और एंटरटेनमेंट को एक शानदार प्लेटफार्म दिया है। देखते हैं यह मुद्दा कहां तक पहुंचता है।