रविवार, 29 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. होली
  4. 10 Fun Activities of Rangpanchami
Written By
Last Updated : सोमवार, 21 मार्च 2022 (16:30 IST)

रंगपंचमी के दिन क्या आप भी करते हैं ये 10 मजेदार कार्य

रंगपंचमी के दिन क्या आप भी करते हैं ये 10 मजेदार कार्य - 10 Fun Activities of Rangpanchami
rang panchami 2022
Rang Panchami 2022: होली के पांच दिनी उत्सव में रंग पंचमी का दिन अंतिम दिन होता है। होलिका दहन के दूसरे दिन धुलेंडी और धुलेंडी के चौथे दिन रंग वाली रंग पंचमी मनाई जाती है। आओ जानते हैं कि इस रंगोत्सव के दिन क्या 10 खास कार्य किए जाते हैं।
 
 
1. रंग : धुलेंडी और रंगपंचमी पर रंग खेलने की परंपरा है। रंगों के लिए आप प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें। बाजार में यदि प्राकृतिक रंग नहीं मिले तो आप खुद ही घर में रंग बना सकते हैं। जैसे टेसू या पलाश के फूलों से रंग बना सकते हैं। बस इन्हें आपको रातभर पानी में भिगोकर रखना है। आप सुखे लाल चंदन को लाल गुलाल की तरह उपयोग में ले सकते हैं। दो छोटे चम्मच लाल चंदन पावडर को पांच लीटर पानी में डालकर उबालें। इसी तरह आप अनार, जामुन, गुलमोहर, पालक, धनिया, पुदीना, जसवंती, चुकंदर आदि से भी रंग बना सकते हैं।
 
2. भांग या ठंडाई : कई लोग इस दिन ताड़ी या भांग पीते हैं जो कि उचित है या अनुचित हम नहीं जानते हैं। इसी दिन ठंडाई पीने का भी रिवाज है। दूध में केसर, बादाम पिस्ता, इलायची, शक्कर, खरबूजे के बीज, खसखस, अंगूर आदि मिलाकर उसे अच्छे से घोटकर ठंडाई बनाई जाती है जिसे सभी पीते हैं। कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं। पर ये कुछ ही लोगों को भाते हैं।
 
3. पकोड़े : इस दिन भजिये या पकोड़े खाने का प्रचलन है। शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है।
 
4. पकवान : इस दिन अलग-अलग राज्यों में अलग अलग पकवान बनाए जाते हैं। जैसे महाराष्ट्र में पूरणपोली बनाई जाती है। इस दिन गिलकी के पकौड़े, दही बड़ा, गुजिया, रबड़ी खीर, बेसन की सेंव, आलू पुरी आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। घरों में बने पकवानों का यहां भोग लगाया जाता है। इस आग में नई फसल की गेहूं की बालियों और चने के होले को भी भूना जाता है।
 
5. नृत्य एवं गान : इस दिन नाचना, गाना या किसी भी तरह का मनोरंजन करने का प्रचलन है। आदिवासी क्षेत्र में विशेष नृत्य, गान और उत्सव मनाया जाता है। आदिवासी क्षेत्रों में हाट बाजार लगते हैं और युवक युवतियां मिलकर एक साथ ढोर की थाप और बांसुरी की धुन पर नृत्य करते हैं। इनमें से कई तो ताड़ी पीकर होली का मजा लेते हैं।
6. होली के गीत : होली के दिन लोकगीत गाए जाते हैं। गांवों में लोग देर रात तक होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं। स्थानीय भाषाओं में बने होली के गीतों में कुछ ऐसे गीत हैं जो सदियों से गाए जा रहे हैं।
 
7. गेर निकालना : लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली और रंग पंचमी पर जलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं। जलूस में बैंड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं। इसके लिए सभी अपने अपने स्तर पर तैयारी करते हैं।
 
8. पूजा : होलिका दहन के दिन जहां होलिका, प्रहलाद और नृसिंह भगवान की पूजा की जाती है वहीं धुलेंडी के दिन श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का प्रचलन है। रंग पंचमी पर श्रीकृष्ण और श्रीराधाजी की पूजा की जाती है। राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं। मान्यता है कि कुंडली के बड़े से बड़े दोष को इस दिन पूजा आराधना और ज्योतिेष के उपायों से ठीक हो जाते हैं।
 
9. पशुओं की पूजा : होली के कुछ दिन पहले ही गांव में पशुओं के शरीर पर रंग बिरेंगे टेटू बनाए जाते हैं। उनके सिंगों पर मोर पंख, गले में घुंघरू बांधे जाते हैं। उन्हें सजाकर उनकी पूजा भी की जाती है।
 
10. होली मिलन समारोह : समाज या परिवार में होली मिलन समारोह रखा जाता है। इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर मनमुटाव दूर करते हैं। होली मिलन समारोह में रंग खेलने के साथ ही तरह तरह के पकवान भी खाए जाते हैं और लोग एक दूसरे को मिठाईयां भी देते हैं।